द हिस्ट्री ऑफ राजपुताना भाग १ | The History Of Rajputana Vol-i

The History Of Rajputana  Vol-i by रायबहादुर गोरीशंकर हीराचंद - Raybahadur Gorishankar Heerashankar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(६) सिंदसूरि तथा चारिन्नचुन्दरगणि के लिखे हुए कुमारपालेचरितों में गुजसत के सोलकियों का; करण और जोनराज-रखिंत राजतरंगिणियों में कश्मीर... पर राज्य करनेवाले मिन्नभिक्ष देशों का; संध्याकरनंदी-विरचित रामचस्ति में दंगाल के पालवैशियों का; श्ानंदमद के चल्ालचरित में बंगाल के सेन घंशी राजाओं का मेरुतुंग की प्रबनधचिन्तामणि में गुजरात पर राज्य करने- वाले चादड़ों शौर सोसकियों के अतिरिक्त मिंच-भिन्न राजाओं और विद्वानों श्रादि का; राजशेखरसूरि-रखित चतुर्विशतिप्रबन्ध में कई राजाओं, विद्वानों और धर्माचायों का; नयचन्द्रसूरि के इस्मीरमदाकाव्य में सांभरं, श्रज्मर और रणथभोर के चोहानों का तथा गंगाधरक्थि अ्रशीत मेडली के काव्य में गिरनार के कतिपय चुड़ासमा ( यादव ) राजाशं! का इतिडास लिखा गया था। इन पतिहासिक प्रत्थों के झतिरिक्त सिन्न-मिन् विषयों की कितनी ही पुस्तकों में कहीं प्रंसंगवशात्‌ 'प्रौर कह्दीं उदादरण के रूप में कुछु-न-कुछु पेतिडासिक बुत्तान्त मिल जाता है। कई नाटक ऐतिहासिक घटनाओं के धार पर रे हुए मिलते हैं और कई काव्य, कथा आदि की पुस्तकों में . , ऐतिहासिक पुरुषों के नाम एवं उनका कुछ बृत्तान्त भी मिल जाता है; जैसे पतंजलि के. मद्दामाष्य से साकेत - ( अयोध्या ) और मध्यसिका.: ( नगरी चित्तोढ़ से सात मील उत्तर ) - पर यबनों ( यूनानियों ) के श्याक्रमण का पता लगता है । सदाकबि कालिदास के 'मालविकाशिमित्र' नाटक में शुंग चेश के संस्थापक राजा पुष्येमित्र के. समय में उसके पुत्र झाझिमिन्र का विदिशा ( भेलसा ) में शासन करना, घिदर्म ( चराड़ ) के राज्य के लिए यशसेन झऔर माघवसेन के बीच विरोध होना, माधवसेन का विदिशा जाने के लिए सागना तथा यज्ञसेन के सेनापति-द्वारा क्रेद होना, माधवसेन वो छुड़ाने के लिए झझिपित्र का यह्वलेन से युद्ध करना तथा विद के दो विभाग कर, एक उसको शऔर दूसरा माधवसेन को देना; पुष्यमित्र के झश्वमघ के घोड़े का सिघु ( कालीखिन्ध, राजपूताना ) नदी के दक्षिणु- तट पर कं ( यूनानियों ) झ्वाराः पकड़ा जाना, घसुमित्र का थवनों से




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