द हिस्ट्री ऑफ राजपुताना भाग १ | The History Of Rajputana Vol-i
श्रेणी : इतिहास / History, भारत / India
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
20.64 MB
कुल पष्ठ :
494
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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सिंदसूरि तथा चारिन्नचुन्दरगणि के लिखे हुए कुमारपालेचरितों में गुजसत
के सोलकियों का; करण और जोनराज-रखिंत राजतरंगिणियों में कश्मीर...
पर राज्य करनेवाले मिन्नभिक्ष देशों का; संध्याकरनंदी-विरचित रामचस्ति
में दंगाल के पालवैशियों का; श्ानंदमद के चल्ालचरित में बंगाल के सेन
घंशी राजाओं का मेरुतुंग की प्रबनधचिन्तामणि में गुजरात पर राज्य करने-
वाले चादड़ों शौर सोसकियों के अतिरिक्त मिंच-भिन्न राजाओं और
विद्वानों श्रादि का; राजशेखरसूरि-रखित चतुर्विशतिप्रबन्ध में कई राजाओं,
विद्वानों और धर्माचायों का; नयचन्द्रसूरि के इस्मीरमदाकाव्य में सांभरं,
श्रज्मर और रणथभोर के चोहानों का तथा गंगाधरक्थि अ्रशीत मेडली के
काव्य में गिरनार के कतिपय चुड़ासमा ( यादव ) राजाशं! का इतिडास
लिखा गया था।
इन पतिहासिक प्रत्थों के झतिरिक्त सिन्न-मिन् विषयों की कितनी
ही पुस्तकों में कहीं प्रंसंगवशात् 'प्रौर कह्दीं उदादरण के रूप में कुछु-न-कुछु
पेतिडासिक बुत्तान्त मिल जाता है। कई नाटक ऐतिहासिक घटनाओं के
धार पर रे हुए मिलते हैं और कई काव्य, कथा आदि की पुस्तकों में
. , ऐतिहासिक पुरुषों के नाम एवं उनका कुछ बृत्तान्त भी मिल जाता है; जैसे
पतंजलि के. मद्दामाष्य से साकेत - ( अयोध्या ) और मध्यसिका.: ( नगरी
चित्तोढ़ से सात मील उत्तर ) - पर यबनों ( यूनानियों ) के श्याक्रमण का
पता लगता है । सदाकबि कालिदास के 'मालविकाशिमित्र' नाटक में शुंग
चेश के संस्थापक राजा पुष्येमित्र के. समय में उसके पुत्र झाझिमिन्र का
विदिशा ( भेलसा ) में शासन करना, घिदर्म ( चराड़ ) के राज्य के लिए
यशसेन झऔर माघवसेन के बीच विरोध होना, माधवसेन का विदिशा जाने
के लिए सागना तथा यज्ञसेन के सेनापति-द्वारा क्रेद होना, माधवसेन वो
छुड़ाने के लिए झझिपित्र का यह्वलेन से युद्ध करना तथा विद के दो
विभाग कर, एक उसको शऔर दूसरा माधवसेन को देना; पुष्यमित्र के
झश्वमघ के घोड़े का सिघु ( कालीखिन्ध, राजपूताना ) नदी के दक्षिणु-
तट पर कं ( यूनानियों ) झ्वाराः पकड़ा जाना, घसुमित्र का थवनों से
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