उत्तर प्रदेश में बौद्ध धर्मं का विकास | Uttar Pradesh Me Bauddh Dharm Ka Vikas
श्रेणी : धार्मिक / Religious, भारत / India
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
31.53 MB
कुल पष्ठ :
356
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
कृष्णदत्त बाजपेयी - Krishndatt Bajpeyi
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नालिनाक्षा दत्त - Nalinaksha Dutt
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हि उत्तर प्रदेश में बौद्ध धर्म का सिकास विनय में भी दिया हुआ है । उसके अनुसार अयोध्या गर्मा-तट पर अवश्थित थी और बद्ध दक्षिण पंचाल में प्र्जन करते हुए वहाँ पहुँचे थे । यह संदेहास्पद है कि यह अयोज्सा और रामायण की अयोध्या एक ही हैं। रामायण में अयोध्या का बर्मन एक विदा नगर के रूप में किया गया है जो प्रद्स्त मार्गावाठा तथा प्रचुर धार्यादि से परिपु्ण था । उसमें विशाल भवन थे और वहूं कोसछ की राजधानी था । बौद्ध ग्रंथों में अयोज्सा को दक्षिण कोसल की राजधानी बताया गया है । संकस्स (सांकाइय )--यह सावत्थी से तीस योजन पर नवस्थित था । दस नगर की पहचान संकिसा से की गई है जो फंरखाबाद जिले में एक छोटा गाँव है | यह फतेहगढ़ से २३ मील पद्चिम और कनौज से ४५ मीठ उत्तर-पदिचिम है बौद्ध परंपरा के अनसार इसका महत्व इस कारण बढ़ा कि बुद्ध ्रयर्त्रिश स्वर्ग में अपनी माता को अभिधम्म का उपदेश देने के बाद यहाँ अवतरित हुए थे । शक्र से तीन सीढ़िस प्रदान की थीं--एक इंद्र के लिए एक ब्रह्मा के लिए और वीचंवाली भगवान बुद्ध के रिए । चीनी यात्रियों ने इस स्थान के विहवारों को भिक्षुओं से भरा पाया था । आलवी--यह सावत्थी से राजगृह जानेवाल़े मार्ग पर अवस्थित था और सावरथी से इसकी दूरी तीस मोजन थी । कर्निंघम ने इसकी पहचान उप्ाव जिले के नेयल स्थान से की है और एन०एकल० डे ने इटावा के पास आविवा से । यहाँ अग्गालवचेतिय नाम का एक आश्रम था जहाँ कभी-कभी बुद्ध और अन्य भिक्षुगण रहा करते थे । यह फरंपरा से प्रसिद्ध है कि बुद्ध ने आलवी के यक्ख (यक्ष) को व में कर लिया था। उन्होंने इस स्थान के दो प्रमुख निवासियों--हृत्थक और सेला को अपने संघ में भिक्षु और भिक्षुणी के रूप में प्रविष्ट कर लिया था और कुछ अन्य लोगों को भी अपना अनुयामी बनाया था । उन्होंने सोठहवीं वर्षा यहीं व्यतीत की थी । यहाँ उन्होंने कई व्याण्यान दिए थे भर कुछ विनय के लियम बनाए थे | बत्स या बंस--इनका अधिकार कोसछ और अवंती फे बीच के छोटे से प्रदेश पर था । कौशांबी वत्स की राजधानी थी । यह बड़ी प्राचीन तगरी थी इसकी पहुचान इलाहाबाद के पास कोसम से की गई है। कहा जाता है कि जनक के समकाछीर कौरव राजा निचक्ष ने अपनी राजधानी हस्तिनापुर से हटाकर कौशांबी को बनाया था । दतपथ ब्राह्मण में एक आचार्य का उल्लेख है जिसकी जन्मभूमि कौंगांब्री थी और १. गिलगिट सनुस्क्रि्ट्स ३ १ पुण् ४९। २. झतपथ० १२ २ २ १४३।
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