तत्कालिक चिकित्सा | Tatkalik Chikitsa

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Tatkalik Chikitsa by श्री दुलारेलाल भार्गव - Shree Dularelal Bhargav

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(८ ) उद्देश्य को सस्मुख रखकर. पश्थिमी देशों में संट जान पंघु- लेख प्सोशिपशन का संगठन डुआ है । भारत में भी उक्त पसोशिपशन का काये प्रारंस दो गया है। किंतु उसका क्षेत्र झ्भी बहुत ही खंकीणे है। हमारे प्रांत के शिक्षा-विभाग ने उक्त कोटि की शिक्षा अँगरेज़ी-स्कूलों के लिये अनुमोदित की है जो कितनी ही उच्चकोरि की पाठरशालाओं में 7757 0 उिप्््टुप्टा बण्णे 5नघाप्याघाए0 णिपपीर्ट 31 टी डाटा 8८100 (लाए टन पिन ६1011 ८15%५%९५ के नाम से दीजा रद्दी है । किंतु दिंदो-पाठशालाओं की कौन कहें शँगरेज़ी-स्कूलो में ही पर्याप्त रूप से इसका प्रचार नहीं हो सका ऐ शाशा है यह छोटी-सी पुस्तक हमारी हिंदी-पाठ- शालाशओं और अँगरेजी-स्कूलों के काम की होगी । लेखक ने इसी चिंघय की शिक्षा मिज़ञांपुर के राचनमेंट- हाई स्कूल में तोन वर्ष तक दो है और प्रतिवर्ष तीस-चालीस चिद्यार्थी उससें उत्तोस होते झा रहे है । इनमें से कई उन्चकोटि के श्ध्यापक भी हें । यह पुस्तक मेरे घायः उन्हीं व्याख्यानों का खंत्रह हैं जो विद्यार्थियों के समच्त दिए गए है | मेन यह पुस्तक 351 णेए रे फ़ा0पाघ00ए6 ै55021ठदए01 शिलण्शाएटा&ी (एप्प छा. ?ि 2०वें बे 1 [वि0७१४ उठाया १1 भर ७ ४ शएगा | छ. 58 के पास भेजी थी । श्ञापने पुस्तक का श्राययोपांत झवलोकन कराकर मेरे पास यह्द लिखकर लौटा दी-- 1 1८ .€८प01८9०




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