श्री शंकराचार्य और कुमारिलभट्ट का जीवन चरित्र | Shri shankaracharya Aur Kumaril bhtt Ka Jeevan Chritr
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5.2 MB
कुल पष्ठ :
200
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about पं राजाराम प्रोफ़ेसर - Pt. Rajaram Profesar
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)उपोद्धात | श्र ससन्धयस्ते मनवः क्पे ज्षेयास्चतुर्दश । कृतम्रमाणः करपादो सन्धिः प्चद्राःरसृतः १९ एक कल्प में सन्धघियों समेत चौदह् मन्वन्तर समाप्त होते हैं और सत्यपयुग के वरायर कठ्प के आदि में एक पन््द्रहवों सन्धि होती है । इ्त्थ युगसहसण भूतसझ्ार कारक । करपो घाह्म महःप्रोक्॑ शावरी तस्य तावती॥२० इस प्रकार हज़ार युग समाप्त होने पर सारे भूतों का संह्ार करने वाला एक कठ्प समाप्त होता है इस को त्राह्म दिन कहते हैं इस की रात्रि का भी यददी # परिमाण है । # सूय्यसिद्धान्त के कर्ता ने केचल इस भूमि की उत्पत्ति और मिति पर ही विचार नहीं किया किन्तु इसने इस सारे घ्रह्माएड के आयु का भी परिमाण किया है और लिखा है कि इस घ्रह्मारड का आयु कितना समाश्त हो खुका है और अब कौन सा समय चीत रहा है । विद्वान श्रन्थकार ने लिखा हैः-- क ७ (ज परमायुः शतं तस्य तया5होरात्र संख्यया ॥९१॥ उसी दिन रात (अर्थात् घ्राह्म दिन और घ्राह्म रात्रि) च्सी गणना से सौ चर्ष की -समात्ति पर सारे घ्राह्माएड का आयु दर तू श व्वौसठ करोड़ सौर चर्पों का न्नह्माएड स्थिति के लिये कस च् किया गया है। ऐसे दिनों के. दिसाव से एक सौ चंप्र समाप्त होने पर साराः न्ञाह्माएड नए दोगा और इस को मद्दाप्लय कहते हैं ॥
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