प्रेमपत्र राधास्वामी [छठवीं जिल्द] | Prempatra Radhaswami [Chhathvi Jild]
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11.8 MB
कुल पष्ठ :
344
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दाल
बचनर . प्रेमपत्र राघास्वामी .जिल्द ६ श्र
गुजरती मालूम भी होने लेकिन उसके घंतर में उसका
इपसर बहुत कम होने या बिल्कुल न होबे, यानी अंतर
में प्रेम घ्पौर दया श्ौर मेहर की घारा उसको शान्ती
. और ताकत चरदाश्त की देती रहे ॥ ं
१०-सिवाय सत्तपष राधघास्वामी द्याल के जो इस
लोक में संत सतगुरु रुप घारन करके प्रघट हुये; ध्पौर
भी उनकी जगत के घ्पौर कोई इलाज काटने -करनमें,
घ्पौर दर करने था घटाने मुसीबतां का क्ितट्॒ नहीं
है, श्र न किसी दूसरे मत में उस जुगत का जकर
या इशारा है ॥
१९-जो कुछ जतन या तदृब्ीरें वास्ते दूर करने या
चटाने बाज तकलीफ. के जीव श्पमल में लाते हैं, वह
मामूली घ्पौर दुनियानी हैं; श्पौर किसी २ मुध्पामले में
घीर किसी २ वक्त थोड़ा बहुत फायदा भी देती हैं, लेकिन
यहत सी जगह वह तदुच्ीरें कुछ काम नहीं झ्पाती हैं ॥
१२-राधास्वामी मत के मुवाफ्िक बहुत से करम
सतसंग घी र ध्पम्यास करके काटे ध्पीर ढीले किये जा
सक्ते हैं, घ्नौर जाज़े मेहर श्ौर दया से कमजोर हो
जाते हूँ, यानी उनका ध्यसर कम ब्यापता है
१३-यह क़रैफियत दया घ्पौर मेहर की सतसंगी जीव '
की मौत के वक्त बहुत साफ़ नजर झ्पाती है, यानी
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