राधास्वामी दयाल की दया | Radhaswami Dayal Ki Daya

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Radhaswami Dayal Ki Daya by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(१३ ) लटकन न पल वललकनए पलकल वन यवनपयथपथयथयथक थ मैं .मिलू गा - निगुरे को सेरे दरबार सें |. दखल नहीं है अब जा कोई यह व्सषे कि जीव संतं का बचन क्यों लीं सा नते हैं - से सबब उसका यह है कि खौफ तार शोक, नहीं है जिसका सा | लिक का खाफ छेाएगा उसको शोक मिलने का भी होगा पहिले खौफ छा ना चाहिये ॥ [३] .श्पाज कल के गरु. येलां तो कर लेते हैं शरीर पत्थर पानी में जीव को लगा देतेड्ं - चाहिये ता यह था । कि त्पपने से प्रीत कराते सा वह क्या | करे उन्होंने ब्माप गुरू से प्रोत करी | हाती ता वक्त भी दपनी पीत कराते | ऐसे जा गुरू: हैं उनका नाम गुरू नहीं डासकता है ॥ [३३] ' जिसका दद॑ परमाथ का और डर चौरासी का है उसका सुनासिब यछ | अध्ययन कलतलादत्ारनावा ,>+बननणणनणपणला8 ( न्न्त क्र




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