दादाभाई नौरोजी | Dadabhai Naoroji

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Dadabhai Naoroji by पंडित ईश्वरी प्रसाद शर्मा - Pt. Ishvari Prasad Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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नौरोफी स्पदेश-प्रे मी महात्मासे नहीं दी जा सकती . सबसे पहले उन्होंने ही भारतको उसकी पतित अवस्थाका शान कराया उसको दूरकरनेके लिये यहांले विलायततक येंट्टा की और सपने दी जीवनकी अन्तिम सांसतक देशक्रे फल्याणकी दी चिता करते रहे । साइये पक 1 उस महान भात्माके जीचनके भारम्भलें ही आाछोखना फरके देखें क्रि फिन-किन सदुगुणोनि उसे इतना घड़ा यनाया था भर किल तरह श्षपने जीवनफों उसके अघुकरण पर चलाकर हम मी मातृ-भूमिफी कुछ सेचा करने थोग्य हो सकते दें जन्म श्र शिना दादाभाई नीसोजीका जन्म ४ थी सितम्वर १८२५ को वम्वई नंगरके एक पारसी-पुरोदित-परिवारमें हुआ था । जय ये चार चर्पेफे थे तभी इनके पिताका शरीरान्त दो गया और इनके २. लालनं-पाठन और शिक्षा-दीक्षाफा भार एकमात्र इनकी माताके ऊपर था पड़ा । पर वे चीर-माता थीं अतपच इस संकदसे + जस भी न ऊ्ीं औीर अपने पुन्नकी शिक्षा-दीक्षाका उत्तम प्रवन्ध न (८५ ३




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