विचित्र विज्ञान | Vichitra Vigyan

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Book Image : विचित्र विज्ञान  - Vichitra Vigyan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( हद ) बढ़ी कठिन समस्या उपस्थित हुई क्योंकि मीलों गहरे समुद्र में लट्ट नहीं गाड़े जा सकते थे । इस कठिनाई को दूर करने के लिये भी बुद्धिमानों ते हि. | दिमाग़ लड़ाए परन्तु उन्हें सफलता न हुई। कुछ लोगों ने तार को समुद्र के देंदे मे डा्नने का विचार किया परन्तु नंगे तार के पानी मे पड़े रहने से बिजली ऐथ्वी में चली जाती अतएव यह विचार कायें रूप में परिणत न हो सका । थोड़े दिनों बाद एक नयी तरकीब सूमी ताँबे के तीनों मोटे-मोटे तार बट कर एक रस्सा बनाया गया ओर उसके ऊपर गटा पार्चा तथा रबर का आवरण मद दिया गया फिर उसके उपर लोहे के तार का पत्तर लपेटा गया। यह तार समुद्र में डाल दिया गया झर अब पानी के स्पशे से उस में दौड़ने वाली बिजली के परथवी तक पहुँचने की झाशड्जा न रही । ऐसे तार केबुल या समुद्वी तार कददलाते हैं । लाखों रुपये व्यय करके केबुल तैयार तो दो गये परन्तु अब इन हजारों मील लम्बे तारों को समुद्र में बिछाया किस तरदद जाय यह प्रश्न उपस्थित हुआ । जहाजों पर लाद कर तार एक देश से दूसरे तक फैलाये गये परन्तु कितनी दी बार वे रास्ते ही में दूड गये समुद्र के अगाघ जल मे टूटे हुए तार का पर्ता केसे लगाया जाय। फिर मी उ्यों-त्यो कर इस योजना को सफल बनाया गया और समुद्र की पेदी मे केबुल फंलाये गये। अब इन केबुलों द्वारा बसानर तार ब्याते-जाते है और संसार के किसी भाग के समाचार झनांयास दी र्‌




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