हिंदी शब्दसागर खंड 3 | Hindi Shabd Sager Bhag 3

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Hindi Shabd Sager Bhag 3  by श्यामसुंदर दास - Shyam Sundar Das

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जे जी दर श्१६४ कौ करकलमलमियन बपचम्पकडसंत कमर पते जमिकलनिविक लेप पविगक हल लव वर ्रथमेथेत उतर पल्सकेशेमेरमिस ये कफ से रस िफ वंपसिवििवदतिसकप . कर नकेल दा कक मेरे सकतॉलिर लिए ेलिपिययता हर मूक तसदेट बदतर. तक एके सफानातानिकनिए बमितल नव हलगलस्थीनम्वेलिगतफपफिमन रिपस्विकपिकमिलियवैलरतिनिए फिर वेहकपिसप लमिवॉिकनिस सके सेम्कतों. से कह पके | लतनेकिविरततिजाव .ाइपसिएलसॉलिंमिकेये भरा कहावत... ल्ैफिकलि। बनना | प्राण गप्रचना कठिन है जाना । ऐसे भारी के मद वा संकट में फल जाना कि पीछा छुडाना कंठिन हो जाय । की की निकाकना (१) मन की उमंग पूरी करना । दिस की इवस निकालना । मनारथ पूरा करना । (९) इदय का उदार निकालना | क्रोश्न दुःख दोष आदि उद्देग के प्रक भव कर शांत करना । बदला कोने की इच्छा पूरी करना | जी की जी में रहना न मनारथें का पूरा न हाना । सन में ठानी सेवी था चाही हुई बता का न होना | जी की पढ़ना न प्राण बचाने की चिंता छेना । प्राण बचाना कठिन है जाना | ऐसे भारी म माद वा. संकट में फेल जाना कि पीह्ठा छुडाना कठिन हो जाय | श०--सब असबाव दाढ़ो सेन कादो लेन काठ जिय की परी संसार सहम सैंडार को ।-तुकसी | जी का जीयडबाला । जिगरेवाला | लाइसी | हिम्मतवर | दमदार | श७भती धरती के भीके झापुनी झनी के संग आातें जुरि शीके में सजी के गरणी के से ।--गोपाक । ( किसी के ) जी को थी समता न किसी के विषय मैं यह समसना कि वह भी जीव है उसे भी कप होगा । दूसरे के कह के। समझना | दूसरे के कलश न पहुंचाना । दूसरे पर दया करना | जी को मारभा ८ (१) मन की इच्छाओं के ऐकना । चित्त के उत्ताहें के न पूरा करना । (९) संतेप्र धारण करना । जी को से क्गना न (१) चित्त में अनुभव हेखा । इुदय में बेदना देना । सहानुभूति हेना | जैसे दूसरों की पीड़ा शभादि किसी के जी को भहदीं करती । (९) प्रिय झरना | भाना | अच्छा काना । जी. खरकना ० (१) चित्त सें खटका था . संदेह अत्पन होाना। (२) हानि आदि की आशंका से ( किसी तुराग न रहना । घृण्णा देना ।. मेले . प्राण देना काम के करने से ) जी हिचकना । ( किसी से था किसी की झार से ) थी खा करवा मन फेर देना । चित्त में घुश्दा वा विरक्ति उत्पन्न कर देना । चित्त बिरक्त करना । इदय में दुर्भा यत्पन्न करना । श०---तुम्दी मे मेरी भार से समका जी . साहा कर्‌ दिया है । ( किली- से था किसी की झोए से ) जी ला हम मन चित्त हुट जाना | मत फिर जाना वा. विर्क्त होना | पक बात से दनकी ओर से मेरा शी खट्टा है गया । जी सपाना स्‍ (१) सिंत तस्मय करना 1. है किंदी काम में ) जी झगाना । नितात दत्तचित्त हल जी ताह कर किली काम में झगना | (२) उठाना । मी खुक्षना संफ्राग्व छूट जानो .. भड़क खुस जाना ] किसी काम के करने मैं. चिचक मे रह शाना | जी खाक कर न (९) वेघडक | बिना किसी संकाच के | बिनां किसी प्रकार के भय था जगा के । बिना दिवके | जेंसे लो कुछ तुम्हें कहना दे जी सो कर कही । (९) जितना भी चाहे [बिना अपनों ओर से कोई कमी किए. । मम माना 1 बंघे् ते ब०नन्तुस हमें ली खोला कर गाकियाँ कं दो कोई चिंता नहीं । जी गैंबाता नन्प्राणा देना | जान खोना | जी गिरा जाया ्न्जी बैठा जाना । तम्रीयव सु हेती जाना | शिथिनता आती जाना । जी भषराना न है) सित ब्याकृत हाना | मन व्यय है । (४) सन ने लगना । जी ऊचना | जी चलनान (१) जी चाइना । इच्छा हाना। (२) जी आता । लिस मोहित होना | जी चला स्‍न (१) भीर । दिकेर बहादुर | शूर । झूरमा । (९२) दानवीर । दाता । दानी । उदार | दानशूर । (३) रसिक । सदइदय । जी चक्षाना न ( 9 इच्छा करना । मन दै।डाना । चाह करना । (२) हिम्मत बॉँधना | साइस करना | दै।तला गढाना । जी ाइना मनामिलाष हैना | मन बझना । इच्छा हैन। | जी चाहे न (१) यतिं इच्छा है। | यदि सन मैं आधे । जी खुराना सन किसी काम या बात से बचने के लिये दीला बाली करना या युक्ति रखना । किसी काम से मागना | जैसे यह मैकर काम से जी चूराता है । जी चुपाना स्‍न दे जी चुरना | जी छूदना न (९१) इतम की इृद्ता न रहना | साहस दूर हैना । निराशा हे।ना | माउम्मेदी है।न। | उत्साह आता रहना । (२) चकाबड आना | शिषिलता आना । जी छोड़ा करना न (१) हुदप का उत्ताइ कम करना । समन उदास करना । (२) इदय संकुचित करना | दान देने का साइस कम करना | उदारता हेाइना कूंमूती करना | जी चाड़गा (१) प्रा त्याग करना । मरना | (२) हृदय की इृदता खाना | साइस गैंबाना । हिम्मत हरता | जी छाइ कर मागना हिम्मत हार कर नें बैग से भागना । एकदम भागना । ऐसा मागना कि दम सोते के किये भी न ठद्दरना | ही शक्षना (१) चित्त लंतर्स हैनां | इदम में लेताप हाना | जिन में कुदना चौर दु ख हैंनि। कोभ आना | शुस्ता झगना । (९) ईर्ष्या डना | डाइ हेना | जी जलाना न (१) चित्त संत करना | इदय में कोध उत्पन्न करना । झुठ़ाना । चिढ़ाना । (२) हृदय में बुग्ख उत्पन्न करिना । रंज पहुँचाना | दुष्यी करना । चित्त ब्यचधित करना । सताना। (१) ईा था डाह उत्पन्न करना । जी आमेता है हुनय ही अनुभव करता है कहा महू जा सकता | सही हुई कठिनाई दुख पीड़ा आदि बंणीन के बाइर है । जैसे (कृ) साग मैं जो मी कहे हुए जी ही शानता है। (ख) कहेंगे इतनी भार खाई है कि जी ही. जानता देगा । ( जी जानती होगा भी चेका जाता हैं )| जी जान कढ़ाना न मन लगाना | देतखित्त हेना। जी आन से कगना इुदय ले प्रइत्त होना | सारा ध्यान लगा देखा | एकापमर चित्त देकर तत्पर देना | इ०--वई जी शान से इस काम में कगी है । किसी को जी शान से कगी है केई इुंदिय से तपर है । किपी की बार इच्छा सौर प्रयल है । काई सारा ध्यान लगा कर उद्यत है । काई भरावर इसी चिता चर उद्योग में है । ह०--शसे जी जान से लगी है कि मकान भ््ण




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