षोडश संस्कार | Shodsh Sanskar

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Shodsh Sanskar by लालारामजी शास्त्री - Lalaramji Shastri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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दोमविधि है त्रिकोण कु बनावे। इस कुण्डकी तीनों भुजायें एक एक झरत्नि लम्बी हो गहराइ भी एक ही छरत्नि हों तीनों भुजाओंमें चतुष्कोण कुणडके समान सेखल्ा भी तीन तीन हों। तथा चतुष्कोण कुणडके उत्तर की शोर गोल कुण्ड बनावे जिसका व्यास और गदराई एक छारत्ति दो तथा मेखला भी तोन हों । इन सब कुणडोंकी मेखलाओंमें से प्रथम मेखला की चोड़ाई ऊचाइं पांच मात्रा ( पांच अंगु्त ) दितीय मेखलाकी चार मात्रा ओर चुतीय मेखलाकी चोड़ाई उ चाई तीन मात्रा होनी चाहिये। तथा प्रत्येक झुण्डका श्न्तर एक सात्राका होना चाहिये। पालोंके पीठ ( स्थान ) बनावे । यद्द सच घना- कर जलादिकसे शुद्धता कर सबकी पूजा




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