हमारे मुस्लिम संत कवि | Humare Muslim Sant Kavi

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Humare Muslim Sant Kavi by कृ. गो. वानखडे गुरूजी - Kr. Go. Vankhade Guruji

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about कृ. गो. वानखडे गुरूजी - Kr. Go. Vankhade Guruji

Add Infomation AboutKr. Go. Vankhade Guruji

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
वबवीर साहब (3) झीनो-झीनी चीनी चदरिया ॥टेक॥। काहे व ताना दाह क भरनी कोन तार से बोनी चदर्यि ॥। ईड़ा पिंगला नाना भरनी सुछमन तार से बीनी घदरिया । आठ फवल दल चरण डोलें पाच तत्त पुन तीनी चदरिया ॥। साइं को सियत मास दस लागे। ठोफ-ठोफ के बीनी चदरिया 1 सो चादर सुर नरमुनि ओढ़ो आदि के सली कौनी घदरिया ॥1 दास फबोर जतन से ओढ़ी ज्यो-की त्यों घर दौनी चदरिया । (4) साधो ई सुरदन क गाव 11देका। पीर सरे पगबर सरिगे सरिये जिंदा जोगी ॥ राजा सरिंगे परजा सरिगे भरिंगे वंद ओ रोगी । चदोमरिहसुर्जो मरिं ह मरि ह घरति अकासा ॥ चोदह भुवन चौधरी मरि है इनहुन के का आसा । मोहू मरिंगे दसहू मरिंगे सरिंगे सहस अठासी ॥1 तततीस कोदी देवता मरिगे मरिगे काल की फॉसी । नाम अनाम रहे जो सदा ही दूजा तत्त न होई ॥। पहु बवीर सुनो भई साधो भटकि मर महिं कोई 1




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now