अवधी कोष | Awadhi -kosh

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Awadhi -kosh by श्री रामाज्ञा द्विवेदी 'समीर'- Shri Ramagya Dwivedi 'Sameer'

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अठपदल-अतर अठपहुल बि० पुं० झाठ पदलवाला (आभूषण तखूत आदि) खी०-लि सं. अष्ट न पृष्ठ | अठयें क्रि० वि० झाठवें -दूसयें आाठवं-दुसवें दिन स० अष्टमे । ी अठरइवाँ वि पुं० अटद्वारइवाँ खो०-ई सं० झष्दादुशम । अठवाँ वि० पूं० आठवाँ ख्री०-ईे आठवाँ भाग बाँटब सं० अष्टम । ठसियवाँ वि० पु० ८प८ वाँ ख्री०नयई सं० । अठहत्तरि वि अठइत्तर त्रॉँ-इ ७पवाँ धमवीं सं० । अठिलाब क्रि० अ इंठलाना वै०-दु- -दुराव । उठुर चि० पु० जो किसी की बात न माने खत्री०- रि भा०-ई सं० (नि अ)-ष्छुर । अठैयाँ दे० अठ्इ्ी । अंठोदब क्रि० स० पुरानी बात को प्रयत्न से याद दी झोष्ठ (झर्थात्‌ स्मरण करके झोठ से कहना) । अठोनी-पठौनी सं० ख्री० लाना या मेजना (स्रियों का) शुद्ध शब्द झनौनी (झानव से) है पर पठौनी (पठइव दे०) के झनुप्रास की लालच सेनौ का ठी हो गया स० आन-नी+ प्रेष्य । उअडार वि० पु० अधिक ख्री०रि जा० (पढु० १० दे७ रे १११) । अड्डा सं० पु० ठद्दरने या रहने का स्थान जहाँ कोई शरायः बैठा करे स्त्री०-डी सहारा ढी देव सद्दारा देना रोकना । अडबंग वि० पं ० बेढंगा असुविधा-जनक स्त्री०- णि भा०-ई क्रि० बिं०-गें असुविधा में -गें परब बुरी तरद फँस जाना । द्वि०नसड़बंग । अड़ब क्रि० अ० अद जाना सकना प्रे०-डाइव उब झआाइब । छाड़बी-तड़बी सं० ख्री० टेढ़ी-मेढ़ी भाषा शान से बोली गई भाषा -बोलब बुकब -लगाइब रोब से का गर्व करना अरबी + तरबी (अनु० शब्द) | अड़्सठि वि०. साठ और सात वै०-ठ चँ- -वाँ ठईं सं अव्टपष्ठि । छाड़संब क्रि० अ० किसी पोले स्थान में दूसरी वस्तु का दस उठना और न निकलना प्रे०-साइब -उब चै० थँ- सं ० झंतः । ाड़हुल देझढ़उल | झड़ाइब क्रि० स० गिरा देना (दव का) बाधा पहुँचाना अड़ाब का प्रे० वे०-उब झड़वाइब उचब । उअड़ानि सं० ख्री किसी चस्तु या व्यक्ति के झड़ने काच किन ० गिर पढ़ना (दच पदाये का) अड़ाब क्रि० झा गिर पढ़ना (द्रव पदार्थ का) (पशु का) गर्भ गिरा देना प्रे०-इब -उय सं० अंढ [९9 (अर्थात्‌ गर्भ के बच्चे का झंडे के ही रूप में रह जाना पूरा न होना) अंडे की भाँति फ़रूटकर बढ जाना । ाड़ार सं० पुं० मिट्टी का बढ़ा टुकड़ा जो फटकर (विशेषत। नदी अथवा कुएँ के किनारे पर) गिर जाय -फाटब ऐसा टुकड़ा गिरना सं० झंड अर्थात्‌ झंडे की भाँति फटना वै० झँ-। दे० करार । अड़ियल दि० अड़नेवाला वै-अझ- दे० अदब । अड़ियाब क्रि० झ० गवे दिखाना गरवीली बातें करना वे० झँ- -झाब । अड़िल विं० बेहुदा ढंग से झा जानेवाला (व्यक्ति) अडियल का पु० रूप प्०-ल्ल। अड़ेरि सं० ख्री जानबूझ कर किया हुआ व्यर्थ का भगढ़ा करव -मचाइव -जोतब वे० छँ- सं० अन-रण १ अडेरी वि० अडेरि करने वाला या वाली वै०- रिहा ख्री०-ही ने झटेरि । वै० झँ-। अड़ोरब क्रि० सं० उँड्ेलना में ०-रचाइब -उब वे ०-लब डैंड़े- सं० उद्देलय । झड़ोस-पड़ोस सं० पुं० घर के दोनों शोर का स्थान वै०-रो- सी-सी पढ़ोस में रदने वाले । अढ्इब क्रि० स० द्राज्ञा देना प्रे०वाइव -उब वैया झाज्ञा देनेवाला झरढ़वा-बिरता कमाया या दिया हुआ । वै०-उब सं० झा +- देश । अढ़इया सं० पूं० सेर भर का देहाती तौल जो पसेरी (दे०) का झाघा होता है २३ का पद्ाड़ा वे ०-या ढ़या -झा । झढ़उल सं० प० गुददल का फूल नो लाल रंग का और देवी का परम प्रिय होता है वेथँ- - इहुल -दौल अढ़व-झढ़ सं० पंथनावश्यक शीघ्रता -करब - मचाइब अद़इब से चै० झढ़ौ- -ढ़ो ् ढ़ाई वि ढाई कहा० (१) घरी म घर घर ज्ञरे- (सात) घरी भद्दरा अर्थात्‌ घर तो घड़ी भर में जला जा रहा है पर (पढ़ित जी का कहना हैं) अभी भद्ठा चा सूदूत २2 घड़ी दे और बुसाने का अवसर नहीं है । (२) झापुना क रोई धोई शान क-पोईं झपने भोजन के लिए तो लाले पढ़ रहे हैं पर दूसरे को २३ रोटी तैयार करके देना चाहता है । सं० अर्घद्य । अढ़िा सं० सख्री० छोटी लकड़ी की तश्तरी - डोकिया छोटे-मोटे बतन सारा सामान चै०-या भो ० हूँडिया-डोकिया सी० श्रघी सं० झा । ढक सं० पुं० झद चन -डारव बाधा करना क्ि०- ब रुकना । भो०-ल - काइल सकना रोकना । ढ़या दे अदा । अतना वि० पुं० इतना स्तरी नी -वतना थोड़ा चहुत । तर सं० पूं० इुच्र । /जगाइय छिरकब वे ० अँ- झ०




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