संसार के साहित्यिक | Sansaar Ke Sahityik

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Sansaar Ke Sahityik by श्री रामाज्ञा द्विवेदी 'समीर'- Shri Ramagya Dwivedi 'Sameer'

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पः संसार के साहित्यिक शोर न डाक्टरों को ही पास फटकने दिया । इसके कई वष पहले ही एक पत्र में झाप ने बरथा का लिखा था-- 2000पावं हिट ७६0 पाडू086 एव 9 का 01 एप विगपाा6 05 पप्पू # एशाब6 ५0 06. एुप्क्षाहितं एप पिए्€ प्र6घ118 -एकप्र हाफ घिशा68 ... ० इनके देहात के पश्चात्‌ जब वसीयतनामा देखा गया नो उसमें ध्रपने भतीजों का पाँच-पाँच हज़ार पॉंड दे गए थे ध्यौर शेष संपत्ति के विषय में यो व्यवस्था कर गए थे-- निफ फि6 कलापेप6 एव पाए. 00एए6प्राघ6 65906 . पह600 पाएए60 पाए 6द60प0 8 ५0. फुए00660 88 वि0फ़8 ना व फ6प ड0क् एण एल पाए उप कहहांप्रप एव. फएह0ूछाप पा0 ए06ए पापा 6 8शिर॥ पिहाा पाए650 उप. उक्कथि 860पापण65 006. 0ए8 ृफक1 फिपड 860पाा6त ह0911 0णाउपएप 6 ४. पिए0 06 पट्टा छ0एपपाव विा। नााजठा 89911 06 काापप 19 घशाधाए 60 फा फाप्रठ8 ई0 066 26076. धाी0 हवा #िफ्रए2 00768 05. भरत््रथिकरए 0०. 62द घ्रतयाादिएा्ं पप्राघाू घिा6 6 द्राााहपाघाहाए 60600 .. .०न हर इस प्रकार इस संपत्ति के सूद से पाँच पुरस्कार दिये जाने का प्रबंध कर दिया-एक भौतिक शास्त्र िप्फ्हा08 के विद्वान के लिए दूसरा रसायन के लिए तीसरा बवेद्यक ब्थवा शरीर-विज्ञान के लिए चौथा साहित्य झोर पाँचवाँ उस पुरुष के लिए-- ता 0 इक 9क्षजए6 शा080 एए. 0680. फूरणण060 06 फिर एव तक्नाणि0ाा5 धाइप घि6 है 00डाफाहता एक व ा- एप्प एव शा फ़ाक औकािहिड 0 प्रा6 किएका।#पि0ए घाएं किला 6886 एव 6906 0000छा76४5685.




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