राजस्थानी | Rajasthani
श्रेणी : भारत / India
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1.38 MB
कुल पष्ठ :
124
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)राजस्थानी भाषा भौर सादिस्य
1३) गूजरी-यद विशेषत्तः दिमालयकी तराईमें मसे हुछे गूजरों, थद्दीरों
शादिकी चोलियोका समृद दे ।
(३) भीली-यदद गुज्नराती भर राजस्थानीके बीचकी मिश्रित भाषा है ।
( ४ पहाड़ी वर्गकी भाषामे-- इनका राजर्थानीके साथ घनिष्ठ सम्बन्ध दै।
इनमें प्रमु्त नेपाली, कुमाउनी, गढ़वाली आदि हैं। नेपाढी नेपालके गोरबॉकी
भाषा है जो राजस्थानसे जाकर चहदीँ बसे थे।
( ४) भारतीय ससियों या जिप्सियों (दफएभ९५ की योलियोका संबंध भी
राजस्थानीसे दै। इनके पदाड़ी. भामटी, बैलदारो, भोडकी, लाढी, मद्रिया,
साँसी, फंजरी, नटी, होमी भादि अनेक मेद-प्रमेद हैं ।
राज्स्थानीकी चारों शायाभोंमें विस्तार भर मादिय दोनों दो दृष्रियीसि
पश्चिमी राजस्थानी या मारवाड़ी विशेष महरवपूर्ण दै । शुजराती प्राचोन पश्चिमी
राजस्थानीसे हो विकसित हुई है। राज्स्थानीका प्राय: समस्त साहित्य इसी
पश्चिमी राजस्थानीमें, या यों 'कदिये दसकी प्रमुख उपशाखा जोधपुरीमें, छिसा
गया है' । हिंगलका मूदाघार मो यह पश्चिमी राजस्थानी हो दै। राजश्यामीकी
दूसरी शायाओ में छोक-साहित्यके भतिरिक्त अन्य सादिय नाम-मात्रको, सहींके
यरापर, है ।
१. बसमान दाताइई' में परिचसी हाजरद नोइ से दूसरी इस इस अ्दौदो बलोमें भा
बुछ चाद्स्य लिखा गएा टै ।
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