पाषाण प्रतिमाओ के भव्य लेख | Pashad Pratimao Ke Bhaviya Lekh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
24.91 MB
कुल पष्ठ :
564
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कि, बीकानेर जेन लेख.संयह
( १७४४ )
श्री शीतलनाथ जी
संवत् १६०४ रा वष प्रथम ज्येष्ठमासे । कष्णपस्े शनिवासरे । ८ तिथी श्री शीतलनाथ
जिन बिब॑ प्रतिष्ठित । ज॑ । यु । प्र । भ०। श्री जिनसौ भाग्यसूरिभि: वृहत्खरतर गच्छे”''''” ''
श्रीसंघन श्रेयो थम ।।
(१७४६ )
सं० १६०४ मि० बेशाख सुदि १४ दिने को । सास बीरसिंघजी भार्या'””””””””''
( १७४७ )
संवत् १६०४ रा वर्ष मासोत्तम प्रथम ज्येष्ठ मासे कृष्णपक्षे शनिवासरे ८ तिथो श्री
शांतिनाथ जिन बिंब॑ प्रतिष्ठित जं। यु। म्र । भ। श्रीजिनसोभाग्यसूरिमि: बहुत खरतरगच्छे
कारित॑ श्री बीकानेर वास्तव्य समस्त श्रीसंघेन श्रेंयोथम् ।।
( १७४८ ) ०
सं० १६०४ रा श्रथम ज्येष्ठमासे कृष्णपक्षे शनिवासरे ८ तिथी श्री” ””” नाथ जिन
बिब॑ प्रतिष्ठित ज॑। यु । श्र । भ। श्री जिनसौभाग्यसूरिसिः बृहत्खरतर
( १७४६ )
सुपाश्वे जिन बिंबं प्रतिष्ठित च श्रीमदूबृहस्खरतरगच्छे जं० यु० श्री जिनसीभाग्यप्ूरिमिः
कारापिंत॑ च को । श्री पचिछाछ जी |
( १०६० ) दर
संबत् १६०४ रा प्रथम ज्येष्ठ मासे क्ृष्णपत्षे शनिवासरे । ८ तिथौ श्री सुपा्वनाथ वि
प्र तति पष्क्तिं सं | जञं । यु । प्र ूसररटररररसररीरशसशलश
( १७१ )
श्री मलिनाथ जिन बिंब॑ प्रतिष्ठित च श्री बहत्खरतर गच्छे ज । यु। प्र। मे | श्री जिन
सौभाग्यसूरशिमिः श्री बीकावेर''' '' हा
थ ( १७२ )
श्री श्रेयांस जिन बिंवं प्रतिष्ठित च श्रीम दुच्चदत्खरतरगच्छे । ज॑ । यु । अ० । मे श्री जिन-
सोभाग्यसूरिभिः बीकानेर
धातु प्रतिमाओं के लेख
(१७३ )
थी श्रेयांसनाधादि चोवीती नि
॥ संवत् /४£३ वर्ष माह बढ १ दिने गुरु पुक्षयोगे श्री ऊकेश वर
चोपड़ा गोत्रे की०
सरवण पुत्र को० जेंसिंघ माया जसमावे पुत्र को० समराकेन भार्या दीरादे पुन का?
बीदा
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