चाकर गाथा | Chakar Gatha
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4.36 MB
कुल पष्ठ :
144
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand). मह्लिक के बारे में कह रहा है। उसके आजकल पर सिकल आये हैं सं पं | के इतनी देर से गुलमोहर अली घोड़ागाड़ी की छंत पर बैठा था । अव वह नीचे उतर श्राया भौर वो ला हुजूर यह बिल्कुल असली सैना है । अब दुलभवाबू भी मना के करीब खिसके । बोले दिखा तो जरा अच्छी तरह देखें । शिकारी ने पक्षी का पिंजरा दूलंभ वाब की नाक के. सामने कर दया दुलेभ बाबू ने कहा उस तरफ से भी दिखा । इस तरफ उस तरफ चारों तरफ से अच्छी तरह जांचने-परखने के पश्चात् दुलंभ बावू भी बोले हां हुजूर सुझे भी यह मैना-सी ही लगती है । . मालिक ने कहा जरा अच्छी तरह देखकर वत्ताओ दुलेंभ । आखिर हमें नलो सल्लिक के सामने क्या हार माननी पड़ेगी ? मोहरी बावू भी तब तक वड़े ध्यान से मना का सुआयना कर रहे थे। फिर वोले मुझसे ही गलती हो गई मालिक यह असली मना हीहै। सही कह रहे हो न ? भि बावू ने कहा हां हुजूर। शक की कोई युंजाइश नहीं है । निःसंदेह यह मना ही है । भब और ज्यादा देखने की जरूरत नहीं है । . कर्त्ता वावू यानी मालिक ने पूछा नूलो मठिलक ने इसकी क्या कीमत लगायी थी ? शिकारी ने जवाब दिया हुजूर उन्होंने तो डेढ़ सी कहा था पर मैंने दी नहीं । . हर अच्छी नात है। मैं तुम्हें तीन सौ दूंगा । लेकिन यह वात नूलों मल्लिक से कहकर आना होगा कि मैंने तुमसे वही मैना तीन सौ खरीदी है ।
User Reviews
No Reviews | Add Yours...