सुमित्रानंदन पंत का नवचेतना काव्य | Sumitranandan Pant Ka Navchena Kavya
श्रेणी : काव्य / Poetry
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10.6 MB
कुल पष्ठ :
294
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about नेमनारायण जोशी - Nemnarayan Joshi
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( रूण ) पु० स० भ्ररविन्द के विकासवाद का स्वरूप--घक़सोपानमुलक विकास-- विकास के भरूतवादी सिद्धान्त का खण्डन--विकास का चित् सिद्धान्त --वेदान्त के चितु सिद्धान्त से भ्रन्तर--काश्मीरी शैव दशंन के चित् सिद्धान्त से अन्तर--विकास की प्रयोजनीयता--सातत्यवाद का खण्डन--नव्योत्क्रान्ति का भ्राध्यात्मिक स्वरूप--सच्चिदानन्द का स्वरूप--अ्रवरोहण क्रम के सोपान--श्रतिमानस--अधिसानस-- सहजज्ञातमानस--दीप्त मानस--उच्च मानस--मानस-प्राण-- पुदंगल--ग्रारोहण क्रम--वुद्धि की क्षमता तथा परिसीमा-- सहजबोध को विकसित करने का साधन योग --भ्ररविन्द के सर्वाग योग का स्वरूप--नीदे तथा श्ररविन्द के अतिमानव का अन्तर--श्ररविन्द के विकासवाद की मौलिकता--विकास का व्तें- मान चरण । स्वात्म-रूप की प्राप्ति मनुष्य का चरम श्रेय--योग साधन ही नही साध्य भी--दर्शन की अपेक्षा योग की श्रेष्ठता--योग भ्ौर विज्ञान- मय पुरुष--नैतिकता के लिये स्थान--विज्ञानमय समाज--व्यक्ति- दादी और समाजवादी सूल्यो मे समन्वय--निष्कर्ष । अध्याय 4 नवचेतना का काव्य-पक्ष 101. काव्य श्रौर विचार-तत्त्व-- भाव और विचार का स्वरूप एवम सम्वन्ध--काव्य से विचार के बहिष्कार की सभावना ?-- व्यापक युग-बोध के लिए विचार का ग्रहण श्रनिवार्य--काव्य का चरम श्रेय स॒त्य-शिव-सुन्दर--सत्य श्रौर तथ्य का श्रन्तर --सत्य श्रौर सुन्दर का शरद त--सत्य के ग्रहण मे इन्द्रियो तथा बुद्धि की श्रसामथ्यं-- सहजज्ञान द्वारा सत्य का दशन सम्भव--पत जी द्वारा सत्य-सुन्दर का दर्शन--सुन्दर श्रौर शिव का श्रद्द त--युन्दर श्रौर हिव का ऐश्वयें-- नवचेतना काव्य की ऐश्वयं-भूमि--लोक-मगल की प्रतिष्ठा श्रौर कवि-दायित्व--निष्क्ष । भ्रध्याय 5 पुवें लोकायतन काव्य 118 मूल काव्य-चेतना की श्रक्षुण्णता--द्वितीय उत्थान-काल की पु्वे- लोकायतन कृतियाँ --काव्य-रूपको में व्यक्त नवचेतनात्मक प्रवृत्तियाँ -काव्य-चेतना को रूपायित करने वाले कुछ श्रौर प्रभाव--पुर्व- लोकायतन कृतियों मे प्रतिफलित नवचेतना का स्वरूप--श्राथिक
User Reviews
No Reviews | Add Yours...