प्रेम कान्ता सन्तति भाग 1 | Prem Kanta Santati Part 1
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
17.26 MB
कुल पष्ठ :
130
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्रोहरि: |
श्रीद्ट देवता चरण कमले स्योनम: ।.
प्रेमकान्ता सन्तति ।
या
( हीरे का तिलस्म )
एहिला हिस्सा ।
काना नाउरटन्िनाााां
पहिला बयान ।
नएफरेक्रब्किशााण
“'आगए शिर पर वढ़ी, जिसकी बहुत झांका रही |
_ आागए जोड़ी नई, आफ़त खड़ा इससे भयी”” ॥।
के . पलट 2 ला काया अा
न्फूँ है. वाक्य है सा ः
क तरह पर संध्या बीती; रजनी ने अपना
आधिपत्य जमाया । ,उजाले का परदा
हटाकर अन्धःकारने संसार को छिपाया
घर: घर में राशनी जग मगा उठी;-कम-
लिनीकी बढ़ी हुई शेखी टूटी;:--प्रसि
पर की ड नियो' की बिरह वेदना छूटी। तारे बिखर-
कर चमकने लगे; नवयौवना के मुखड़े द्मकन लगे । हवा
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