प्रेम कान्ता सन्तति भाग 1 | Prem Kanta Santati Part 1

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : प्रेम कान्ता सन्तति भाग 1 - Prem Kanta Santati Part 1

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about शम्भु प्रसाद उपाध्याय - shambhu prasad upadhyay

Add Infomation Aboutshambhu prasad upadhyay

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
श्रोहरि: | श्रीद्ट देवता चरण कमले स्योनम: ।. प्रेमकान्ता सन्तति । या ( हीरे का तिलस्म ) एहिला हिस्सा । काना नाउरटन्िनाााां पहिला बयान । नएफरेक्रब्किशााण “'आगए शिर पर वढ़ी, जिसकी बहुत झांका रही | _ आागए जोड़ी नई, आफ़त खड़ा इससे भयी”” ॥। के . पलट 2 ला काया अा न्फूँ है. वाक्य है सा ः क तरह पर संध्या बीती; रजनी ने अपना आधिपत्य जमाया । ,उजाले का परदा हटाकर अन्धःकारने संसार को छिपाया घर: घर में राशनी जग मगा उठी;-कम- लिनीकी बढ़ी हुई शेखी टूटी;:--प्रसि पर की ड नियो' की बिरह वेदना छूटी। तारे बिखर- कर चमकने लगे; नवयौवना के मुखड़े द्मकन लगे । हवा




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now