प्रेम कान्ता सन्तति भाग 1 | Prem Kanta Santati Part 1

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Prem Kanta Santati Part 1 by शम्भु प्रसाद उपाध्याय - shambhu prasad upadhyay

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श्रोहरि: | श्रीद्ट देवता चरण कमले स्योनम: ।. प्रेमकान्ता सन्तति । या ( हीरे का तिलस्म ) एहिला हिस्सा । काना नाउरटन्िनाााां पहिला बयान । नएफरेक्रब्किशााण “'आगए शिर पर वढ़ी, जिसकी बहुत झांका रही | _ आागए जोड़ी नई, आफ़त खड़ा इससे भयी”” ॥। के . पलट 2 ला काया अा न्फूँ है. वाक्य है सा ः क तरह पर संध्या बीती; रजनी ने अपना आधिपत्य जमाया । ,उजाले का परदा हटाकर अन्धःकारने संसार को छिपाया घर: घर में राशनी जग मगा उठी;-कम- लिनीकी बढ़ी हुई शेखी टूटी;:--प्रसि पर की ड नियो' की बिरह वेदना छूटी। तारे बिखर- कर चमकने लगे; नवयौवना के मुखड़े द्मकन लगे । हवा




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