श्रीमद वाल्मीकि रामायण अरायण कांड | Shrimad Valmiki Ramayan Arayan Kandh

Shrimad Valmiki Ramayan Arayan Kandh by चतुर्वेदी द्वारिकाप्रसाद शर्मा - chaturvedi dwarikaprasad sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १९ ) उनसब्वाँ सग ४५६-४६३ वामनेत्रादि श्रद्॑ों के फड़कने से सीता पर चप्िपत्ति पड़ने की शड्टा कर श्रीरामचन्द्र जो का लक्ष्मण को, श्रपनी श्राज्ञा के विरुद्ध शाश्रम छोड़ कर चले श्याने के लिये उलदना देना । साव्वाँ सर्ग ४६३-४७३ श्रीरामचन्द्र जी का ससम्ध्रम श्राधम की श्रोर दोइ़ना । श्राश्रम में सोदा को न देख कर, ध्रीरामचन्द्र जी का उन्मत्त होना श्रौर सीता का हाल जानने के वत्तादि से प्रश्न करना | त भर इकसब्वाँ संग ४७३-४८० सीता के लिये श्रीराम चन्ध जा का दुखी होना | श्रीरामचन्द्र धौर लक्ष्मण का सोता की खोज में इधर उधर घूमना । चिल्लाते हुए श्रोरामचन्द्र के शान्त करने के लिये लक्ष्मण का समभाना | वासठ्वाँ सर्ग ४८०-४८५ श्रोरामचन्द्र जी का दीन हो कर सीता के लिये बार वार विलाप करना | त्रेसठवाँ सग ४८५-४९३ दुम्खात्ते श्रीराम का विलाप श्र लक्ष्मण का उनको धीरज वंघाना । चौसव्वाँ सर्ग ४९३-५०९ गोदावरी के तट पर सीता की खोज में घूमते फिरते श्रीरामचन्द्र घोर लक्ष्मण को हिरनों द्वारा दक्तिण दिशा में जाकर हृढ़ने के लिये सडेत का मिलना ।




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