जीवन चरित्र - हुजुर स्वामीजी महाराज | Jivan Charitra - Huzur Swamiji Maharaj

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Jivan Charitra - Huzur Swamiji Maharaj by अज्ञात - Unknown

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about अज्ञात - Unknown

Add Infomation AboutUnknown

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
सैमैिटै-ैटेड्ैनटडप्टौप्सरीन्नीन्ट:ौच्टॉन्सन्टीप्न्टीन्ैन्टीन्लौ्ड लीग जोवन-चरित्र ५ जरूरी चीज़ के कुछ पास नहीं रखतें थे। और जा काईइ महाराज के पास आता था? वह उस दर से महरूम होकर नहीं जाता थाः उसके जिस तरह हो सक्ता था राजी और खुश करके रवाना करते थे, और यह ता एक ज़रासी बात थीः ऐसे सैकड़ों माक॑ अक्सर होते रहते थे । (२१) मालूम होवे कि यह नौकरी महाराज सिफं पिताजी महाराज की मर्जी प्ररी करने लिये की थी । (२२) महाराज अंतरजामी थे और यह खूब जानते थे कि उनके पिताजी महाराज कां देहान्त फ़र्लाँ माह में फलाँ राज हागा। जब यह दिन क़रीब आया ते महाराज नौकरी से मरते फ़ी होकर इ न्तिक़ाल के सिफे ् एक राज पेश्तर आगरे में तशरीफ ले आये; और दूसरे राज़ पिताजी महाराज भी जो कि शादी में शिकाहाबाद गये थे जौर वहाँ पर बीमार है गये थे घापस आागरे आये । वही अखीर दिन था उस वक्त महाराज ने ऐसी खिदमत पिताजी महाराज की करी कि जेसी लाज़िम और मनासिब होती है, घ्यौर रात भर उन की सुरत की सम्हाल करते रहे, घर व्पनी का पाठ करके खुद सुनाते रहें सेकं । सुम्युस्युन्दू-दुन्युस्टूदुन्यनदयन्दुन्दुन्दन्युन्दन्ददन्युन्युन्युन्यून्युन्युन्य्न्द्न्यूः कै शुन्युर्थुस्युन्भुः री आज? हर 5 द:5 ६. बी फ्रेद




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now