राजपूताने का इतिहास पार्ट 1 | History Of Rajputana Volume I
श्रेणी : इतिहास / History, भारत / India
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
32.23 MB
कुल पष्ठ :
512
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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सिंदसूरि तथा चारित्रखुन्दरगणि के लिखे हुए कुमारपालचरितों में युजसात
के सोसकियों का; करण श्ौर ज्ञानराज-रचित राजतरंगिणियों में कश्मीर:
पर राज्य करनेवाले भिन्न-भिन्न वेशों का; संध्याकरनंदी-विरचित रामचरित.
में बंगाल के पालवशियों का; '्ानंदभट्ट के बल्ञालचरित में बंगाल के सेन-
वेशी राजाओं का; मेरचुग की प्रबन्धचिन्तामशि में गुजरात पर राज्य. करने-
याले चावड़ों और सोलकियों. के श्रतिरिक्त भिन्न-भिन्न राजाओं श्र
विद्वानों झादि का; राजशखरसूरि-रचित चतुर्तिशतिप्रबन्ध में कई राजाओं,
विद्वानों और धर्माचारयों का; नयचन्द्रसूरि के दम्मीरपरहाकाव्य में सांभर,
छाजमर और रणुथभोर के चोहानों का तथा गंगाघरकथि प्रसीत मंड़लीक
काव्य में गिरनार के कतिपय स्यूड़ासमा ( यादव ) राजाओं का इतिद्दास
लिखा गया था। दी
इन पेतिदासिक श्रन्थों के अतिरिक्त भिन्नभिन्न विषयों की कितनी
ही पुस्तकों में कद्दी प्रसंगवशात् श्औौर कही उदाहरण के रूप में छुछ-न-कुछ
पेतिदासिक चृत्तान्त मिल जाता दे । कई लाटक ऐसिदासिक घटनाओं के
्राघार पर रघचे झुए मिलते हैं श्र कई काव्य, कथा.ादि की एुस्टकों में
पेतिदाखिक पुरुपों के नाम प्वे उनका कुछ चृत्तान्त भी मिल जाता है; जैसे
परंजलि के मद्दाभाष्य से साकेत ( झायोध्या ) और मध्यमिका ( नगरी,
चित्तोड़ से सात मील उत्तर ) पर यवनों ( यूनानियों ) के झाकमण का
पता लगता है । महाकवि कालिदास के 'मालविकासिमित्र' . नाटक में शुंग,
चैश के संस्थापक राजा. पुष्यमित्र के. समय में उसके पुत्र झाशिमित्र का
विदिशा ( भेलसा ) में शासन करना, विर्दभे (.बराड़ ) के राज्य. के लिए
यन्नसेन श्र माधवसेन के बीच विरोध होना, माधवसेन का विदिशा जाने
के लिए भागना तथा यन्नसेन के सेनापति-द्वारा फ्रैद होना, माधवसेन को
छुड़ाने के लिए अस्िमित्र का यज्नसेन से युद्ध करना तथा बिदर्भ के दो
विभाग कर, पक उसको झऔर दुखरा माधवसेन को देना; पुष्यमित्र के
्श्वमेघ के घोड़े का सिंघु, ( कालीसिन्थ, राजपूताना ). नदी के दक्षिण-
तट पर चिप ( यूनानियों ) द्वारा पकड़ा जाना; घखमित्न का यवनों से
क्न
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