जड़ जगत की कहानियां | Jad Jagat Ki Kahaniya

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Jad Jagat Ki Kahaniya by नंदलाल जैन - Nandlal Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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तो बेजान ठहरा सेरो चिन्ता ही किसे है ? इस प्रकार घर से बाहर निकल दिये जाने श्र लकड़ी या घातु के ट्कड़ों की नोकों से चोटे खाते रहने पर भी मेरी जाति मानव-सेवा के लिए उसी प्रकार बेचेन रहती है जिस प्रकार सृष्टि-रचना के लिए ब्रह्माजी । इतना हो नही कि सेरा जीवन केवल चोटे सहने श्र लापरवाही के साथ प्यवहार किये जाने के लिए हो में तो सनुष्य के विचारों कास-काजो भावनाओं कूडा मुकपर इकट्ठा किया । आर कल्पनाश्रों को लिखने श्रौर रक्षण देनेवाला गूंगा सेवक हूं । श्राज के जगतूं मे वचनमात्र से न तो किसी बात को ठीक साना जा सकता है श्रौर न कहने भर से कोई कास कराया जा सकता है । इसीलिए राजकीय या निजी बचनों श्र कामों के ठीक-ठीक पालन कराने का एकमात्र साधन सेरी ही जाति-बिरादरी है। संसार से सनुष्य की विचारधारा को फैलाने के लिए दैनिक ससाचार- कागज की झ्रात्म-कहानी १४




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