श्रीमन्महाभारतार्थ ८ | Shrii Manmahaabhaarataarth 8

55/10 Ratings. 1 Review(s) Add Your Review
Book Image : श्रीमन्महाभारतार्थ ८  - Shrii Manmahaabhaarataarth 8

More Information About Authors :

Author Image Avatar

भाळचन्द्र शंकर - Bhalchandra Shankar

लेखक भालचंद्र शंकर देवस्थली के बारे में कुछ जानकारी। जानकारी डॉ। हेमंत देवस्थली द्वारा प्रदान की गई है जो श्री भालचंद्र शंकर देवस्थली के पोते हैं।

वेद शास्त्र संप्रदाय भालचंद्र शंकर देवस्थली, 20 वीं शताब्दी के पहले भाग में महाराष्ट्र के वेदों और अन्य शास्त्र साहित्य में एक प्रसिद्ध विद्वान थे। अहमदनगर के मिशनरी स्कूल में संस्कृत पढ़ाने वाले श्री देवस्थली को संस्कृत के छंदों के कई रूपों के अपने क्रेडिट ट्रांसलेशन के लिए जाना गया था, हालांकि सरिता श्रीमद अध्यातमनारायण के अनूदित अनुवाद को उनकी रचनाओं में सबसे महत्वपूर्ण माना गया है। अनुवाद के साथ आने वाले नोट्स प्रसिद्ध साहित्यिक स्रोतों के उद्धर

Read More About Bhalchandra Shankar

विष्णु वामन - Vishnu Vaman

No Information available about विष्णु वामन - Vishnu Vaman

Add Infomation AboutVishnu Vaman

Sample Text From Book (Machine Translated)

(Click to expand)
धे अध्याय १६५७ वा[--युधिष्टिराचें पलायन १३५. अध्याय १६६ वा--भूरिवघ १३७; घटोत्कचपराभव १३८; दुरयोधनपराभव १४०८ भध्याय १६७ वा--सहदेवाचा पराभव १४१; विराटांचा पराभव १४२; अलंबुषाचा पराभव १४३. अध्याय १६८ वा--शतानीक-चित्रसेनयुद्ध १४४; द्वपद-इृषसेनयुद्ध १४४, प्रतिविंध्य-दुःशासनयुद्ध १४६. अध्याय १६९ वा--राकुनीचा नकुलाकडून पराजय १४६; दव्िखंडीचा कृपा- चार्याकडून पराजय १४८४; युद्धवर्णन १४८. अध्याय १७० वा--द्रोण-एश्युन्नादिकांचें संकुलयुद्ध १४९. अध्याय १७१ वा--सात्यकीचा पराक्रम १५३; असुन-शकुनियुद्ध १५४; द्रोण-एष्टयुन्रयुद्ध १५६. अध्याय १७२ वा--दुर्योधनाची द्रोण-कर्मास प्रेरणा १५६; द्रोणकृत पांडव- सैन्याचा पराभव १५७; कृष्णाजेनांचें द्रोणसैन्याकडे गमन १५८; संकुल- युद्ध १५८. अध्याय १७३ वा--कर्ण-धृष्टयुम्रयुद्ध १५९; पांचालसेनेचें पलायन व कणोचें निवारण करण्यास युधिष्ठिराची अजुनाला प्रेरणा १५९ ; कृष्णाजुनांचा संकेत १६०; कृष्णाजुनांच्या प्रेरणेनें घटोत्कचाचा युद्धारंभ १६१. अध्याय १७४ वा--दुर्योषनाची दुभ्शासनास कणांच्या रक्षणार्थ प्रेरणा १६३; घटोत्कचाशीं युद्ध करण्यासाठीं आज्ञा देण्याविषयी अलंबुषानें केलेली दुर्यो- थनाची प्रार्थना १६३; दुर्योधनाची त्यास संमति १६४; घटोत्कचाकडून अलंबुषाचा वध १६४. अध्याय १७५ वा--कर्ण व घटोत्कच यांचें युद्ध १९६. अध्याय १७६ वा--अलायुधाचें युद्धार्थ आगमन १७२. अध्याय १७७ वा--अलायुघाशीं युद्ध १७३. अध्याय १७८ वा--श्रीकृष्णाची घटोत्कचास अलायुधाकडे जाण्याची प्रेरणा १७६; अलायुधघाचा घटोत्कचाकडून वध १७६.




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now