श्रीहरि भजनामृत भाग २ | Shriiharibhajanaamrit Bhaag 2
Book Author :
Book Language
मराठी | Marathi
Book Size :
6 MB
Total Pages :
137
Genre :
Genre not Defined. Suggest Genre
Report Errors or Problems in this book by Clicking Here
More Information About Author :
No Information available about जगन्नाथ रघुनाथ - Jagnnath Raghunath
Sample Text From Book (Machine Translated)
(Click to expand)श्रीशंकर प्रसन्न.
श्रीहरि-भजनाम्रत.
(07% -.-*- €€*-<..
भाग २ रा.
पद १. (राग बिळावल. )
आदि सनातन हरि अविनाशी । सदा निरंतर घट घट बासी |
पूरण ब्रम्ह पुराण बखाने । चतुरानन शिब अंत न जाने ॥ महिमा
अगम निगम जिहि गावे | सो यशुदा लिये गोद खिलावै ॥ एक
निरंतर ध्यावे ज्ञानी । पुरुष पुरातन हे निर्वांनी ॥ शुक शारदको
नाम अघारा । नारद शेष न पारवे पारा ॥ जप तप संयम ध्यान न
आवे | सोइ नंदके औंगन धावे ॥ लोचन श्रबण न रसन। नाशा ।
बिन पद पाणि करे परकाशा ॥ अरुण असित सित वरण नघारे ।
मुनि मनसा कहा विचारे || विश्वेमर निजनाम कहावे । घर घर
गोरस जाय चुरावे ॥ जरा मरण ते रहित अमाया । मात पिता
मुत बंधु न जाया ॥ आदि अनंत रहे जलसाई । परमानंद सदा
सुखदाई | ज्ञानरूप हिरदैर्मे बोठे । सो बछरनके पाळे डोळे |॥ जल
User Reviews
No Reviews | Add Yours...