शिंदेशाही इतिहासाचीं साधनें भाग २ | Shindeshahi Itihasachi Sadhane Part 2
Book Author :
Book Language
मराठी | Marathi
Book Size :
25 MB
Total Pages :
208
Genre :
Genre not Defined. Suggest Genre
Report Errors or Problems in this book by Clicking Here
More Information About Author :
Sample Text From Book (Machine Translated)
(Click to expand)शश
दोहा खरूपशम
लॉहिरा इकछोद सारी व्िदिरि षा छिय संग । दषिती सज सारि दीने जीति खंडन जंग.
दषिनिनि ऊमर घात घेर््यो फोजदारज घारकी । आयो तुर्त ताका लिषी सिरदार मनसबदार को ॥।
मदति हसारी करो घेरे हमे फोंज गनीम की । श्रीराव पडन तुम प्रचंड समान आजेन श्रीम की ॥
उमर खाँके बांचि्ले कागद तुर्त लवाब । श्री बंडन बली बंड तब कीन्यो कूंच सिताच ॥
ऊञर अरि बरनगर हुव दर वर् दल सनि दोर । षंडन राव प्रचंड सब सुभाटनिको स्िरमोर ॥
सुनत अवाइई फोजकी बढया अतंक् अपार । गये दषिनी भाजि सब उतरि नरबदा पार ॥
इंहें विधि ऊमर षॉनको कीन्यो बडो सहाव । उथपन थापन भमि पर बंडन रेयां राव ॥
उ द्ाहा
संवतु सत्रह़े नवे भयो प्रगट जब आइ । जादी स्िकरवार जुरि कीन्याँ यही उपाइ ॥
जञेयुर खंडन राव हे कूरम टप दरबार । दुचितो स्वाह्मबाद उत झ्डूरतिराम कुंवार ॥
आयो हे व्हां दष्षिनी प्रबळ वीर मल्हार । जाके दल की धाक ते भाजे सुळुकु अप |
ताते अबही औचकां कीज दरवर दौर । घेरि बिजपुर लीजिये नवलराम तिंहिं ठोर ॥
चहूं वोर तें कूदि कै लीअ कोट छिंडाइ । षबरि पाइ गोपाळ उप जली पोहोंचे आइ १
आठ रोज बीत छरत बाढी रारि दुरंत । ज्ञेपुर खाहदाबाद फिरि पोहांची षबरि तुरंत
खुरतिराम खल्हार सौं. यह राणि ठहराइ । षंडी खाह्यबाद की तबहीं देहि चुकाइ 8
मदति हमारे अच्चुञकी करी आप इह्दिबार । लेह चुक्ारे त अधिक औरं पचीस हजार ।
तुरत राव खत्हार नें राजी व्हे तिंहिं बार ? बोल सुबट सबहि मिलि तुरत होइ असवार ।
भेजे तिनिके संग भट खूरति रांम कुवार । मदन खोलंकी धाकर षंडन व्दे सिरदार1।
. क्षा सदि बैसाख की चढय़ा पहर दिन सुद्ध । आये दर पर दबिनी लख्या होत तहं जुद्ध ॥
मिली फौज दोऊ जबे तबै धाकरेी धाइ। श्री नवलेंप कुंवार पर दरवर पोहोंच्यो आइ ॥
दीनी षवरि कंवारकीं पोहोंची कुमक सआई । कढयौ किलें तै कोपू करि लवलसिंघु समहाइ ४
दोहा
सत्रहसे फिरी छयासठा ग्रगट भयो जब साल । गया तब सुरलोक श्री झसूप महिपाल ॥
सत्रहसे सतहतरा संतरतु फिरि निरघारि । सेयद झ्ुगळनि ता समं कींनी अदभुत. रारि ॥
झ्बदछह सैयद प्रबल हसनझली षा जानि । कालजसन से जमन व्हे पौंहीमि प्रगटे आंनि 0
हेलें फरक खाहि सौ मारि झुगल करि जेर । कीनी दोड दींन मँ जिनि जाहर समसेर ॥
प्रबल निजामनिसुलकु सुनि दष्षिन मुगल प्रचंड । भेजीं बाईसी बडीं हसन अली बलिबंड ॥
पठयो बकसी आपनी प्रबल द्विलावल ष.न । बडे बडे उसमराइ संग सेयद सेष पठान ॥
भेज्यो राजा भीम संग कूरम टप गजासेंघु । हिरनाकुस जिमी जमनको प्रगटया ज्यां नरासिंघु ॥
अठांरहसे येकास म [सिंकरवार को चाल । कातिक सुदि यांचीं दिवस जीते जुद्ध शुपाल ॥
वान गगन वसु ससिक ह्यो संवतु यही बिचारि । भादी बदि तिथि पंचमी भोमवारू निरधारि ॥
कऱ्या समापति ग्रंथ तब कवि जदुनाथ बनाइ । रह्यो अवनि जुग जुग अमन रूवलसिंघ श्रीराइ ।।
पोथी लिषीं-श्रीठाकर श्रीनवलरामजी को भया पेमराम काइथ श्रीवास्तव नें
सि. बॅशाख बदि ७ मंगलवार संवतु ३८०७ सुभस्थान ब्रिजेपूर
User Reviews
No Reviews | Add Yours...