शिंदेशाही इतिहासाचीं साधनें भाग २ | Shindeshahi Itihasachi Sadhane Part 2

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Shindeshahi Itihasachi Sadhane Part 2 by अज्ञात - Unknown

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शश दोहा खरूपशम लॉहिरा इकछोद सारी व्िदिरि षा छिय संग । दषिती सज सारि दीने जीति खंडन जंग. दषिनिनि ऊमर घात घेर्‍्यो फोजदारज घारकी । आयो तुर्त ताका लिषी सिरदार मनसबदार को ॥। मदति हसारी करो घेरे हमे फोंज गनीम की । श्रीराव पडन तुम प्रचंड समान आजेन श्रीम की ॥ उमर खाँके बांचि्ले कागद तुर्त लवाब । श्री बंडन बली बंड तब कीन्यो कूंच सिताच ॥ ऊञर अरि बरनगर हुव दर वर्‌ दल सनि दोर । षंडन राव प्रचंड सब सुभाटनिको स्िरमोर ॥ सुनत अवाइई फोजकी बढया अतंक् अपार । गये दषिनी भाजि सब उतरि नरबदा पार ॥ इंहें विधि ऊमर षॉनको कीन्यो बडो सहाव । उथपन थापन भमि पर बंडन रेयां राव ॥ उ द्‌ाहा संवतु सत्रह़े नवे भयो प्रगट जब आइ । जादी स्िकरवार जुरि कीन्याँ यही उपाइ ॥ जञेयुर खंडन राव हे कूरम टप दरबार । दुचितो स्वाह्मबाद उत झ्डूरतिराम कुंवार ॥ आयो हे व्हां दष्षिनी प्रबळ वीर मल्हार । जाके दल की धाक ते भाजे सुळुकु अप | ताते अबही औचकां कीज दरवर दौर । घेरि बिजपुर लीजिये नवलराम तिंहिं ठोर ॥ चहूं वोर तें कूदि कै लीअ कोट छिंडाइ । षबरि पाइ गोपाळ उप जली पोहोंचे आइ १ आठ रोज बीत छरत बाढी रारि दुरंत । ज्ञेपुर खाहदाबाद फिरि पोहांची षबरि तुरंत खुरतिराम खल्हार सौं. यह राणि ठहराइ । षंडी खाह्यबाद की तबहीं देहि चुकाइ 8 मदति हमारे अच्चुञकी करी आप इह्दिबार । लेह चुक्ारे त अधिक औरं पचीस हजार । तुरत राव खत्हार नें राजी व्हे तिंहिं बार ? बोल सुबट सबहि मिलि तुरत होइ असवार । भेजे तिनिके संग भट खूरति रांम कुवार । मदन खोलंकी धाकर षंडन व्दे सिरदार1। . क्षा सदि बैसाख की चढय़ा पहर दिन सुद्ध । आये दर पर दबिनी लख्या होत तहं जुद्ध ॥ मिली फौज दोऊ जबे तबै धाकरेी धाइ। श्री नवलेंप कुंवार पर दरवर पोहोंच्यो आइ ॥ दीनी षवरि कंवारकीं पोहोंची कुमक सआई । कढयौ किलें तै कोपू करि लवलसिंघु समहाइ ४ दोहा सत्रहसे फिरी छयासठा ग्रगट भयो जब साल । गया तब सुरलोक श्री झसूप महिपाल ॥ सत्रहसे सतहतरा संतरतु फिरि निरघारि । सेयद झ्ुगळनि ता समं कींनी अदभुत. रारि ॥ झ्बदछह सैयद प्रबल हसनझली षा जानि । कालजसन से जमन व्हे पौंहीमि प्रगटे आंनि 0 हेलें फरक खाहि सौ मारि झुगल करि जेर । कीनी दोड दींन मँ जिनि जाहर समसेर ॥ प्रबल निजामनिसुलकु सुनि दष्षिन मुगल प्रचंड । भेजीं बाईसी बडीं हसन अली बलिबंड ॥ पठयो बकसी आपनी प्रबल द्विलावल ष.न । बडे बडे उसमराइ संग सेयद सेष पठान ॥ भेज्यो राजा भीम संग कूरम टप गजासेंघु । हिरनाकुस जिमी जमनको प्रगटया ज्यां नरासिंघु ॥ अठांरहसे येकास म [सिंकरवार को चाल । कातिक सुदि यांचीं दिवस जीते जुद्ध शुपाल ॥ वान गगन वसु ससिक ह्यो संवतु यही बिचारि । भादी बदि तिथि पंचमी भोमवारू निरधारि ॥ कऱ्या समापति ग्रंथ तब कवि जदुनाथ बनाइ । रह्यो अवनि जुग जुग अमन रूवलसिंघ श्रीराइ ।। पोथी लिषीं-श्रीठाकर श्रीनवलरामजी को भया पेमराम काइथ श्रीवास्तव नें सि. बॅशाख बदि ७ मंगलवार संवतु ३८०७ सुभस्थान ब्रिजेपूर




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