कुरान भाष्य प्रथम खंड | Kuraan Bhaashhy Pratham Khand
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4.72 MB
कुल पष्ठ :
108
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand). डेमान न लाने वालों को दोजख का भय दिखला रहे थे लो ग्रहुत से ही लोग फिर भी जन पर विश्वास न लाये तब उन के साथियों ने विस्मय से पूद्ा क्यों इज- रत कब यह लोग भी इस जैसे हो हैं फिर यह इेमान क्यों सहीं लाले ? हालांकि छाप उन को दोजख सेडरा रहे हैं क्या इन्हें दोज़ख का भय महदीं ? इसी का उत्तर भल्लाइ मे छटवों आयत में दिया है कि है मुहम्मद जिन लोगों को हम काफिर बना चके हैं उन्हें तुम चाहे इराश़ो अथवा न हराश्रो वह कदापि देमान न लावेंगे क्यों कि ज्ञात प्राप्त होने के केवल लोन हो साधन हैं या तो सनष्य अपने समन से स्वयं दो भले बरे का विचार कर सकता हे या दूसरे मनष्यों से सुन कर भरथवा सुष्टि नियम व पस्तका दि का देख कर किन्त ये का फिर तम्हारों बातों पर कंसे ध्यान दे सकते हैं जब कि दम मे इनके हुृद्यों कानों पर मुहर कर इन को आंखों पर परदा इल दिया बस भव तम इन्हें इम को हालत पर हो लाइ दा अन्तत यह हमारे पास हो ता भावेंगे इस देख लेंगे बस इन के लिये दुख का महा कष्ट हेमा । व मिनच्मासे मेयकलो आमल्ाा बट्लाहे वबित्यो मिल आ खिरे व मा हम बे मौमे
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