गध संकलन | Gadh Sanklan

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Gadh Sanklan by करुणपति त्रिपाठी - Karunapati Tripathi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१२. हम निनन्ध समभते है जिसमे विवेच्य का विस्तार लघु होता है जिसका प्रतिपादन स्वच्छन्द त्रौर श्रात्मीयतापूर्ण ढग से किया जाता है। लेखक के व्यक्तित्व का रचना मैं भलकते रहना मुख्य गुण है । विस्तार की लघुता से श्रघूरापन रहता है श्रौर विपय का प्रतिपादन प्रायः परिपूर्ण न होकर या तो अ्वुूति-परक होता है ्रथवा विश्लेषणु-विवेचन से सबलित | कभी वह विषय की प्रधानता की श्र उन्पुख होता है शरीर कमी मन की उडान के साथ उड़ता हुआ श्रोता श्ौर पाठक के छृदयों को एफकानुभ्ूति में श्राद्ध कर देता है । नित्र्व वस्तुतः गद्य-साहित्य की उपचारहीन विशिष्ट और उत्कृष्ट रचना है । करुणापति त्रिपाठी




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