पृथ्वी की अद्भुत रोग नाशक शक्ति | Prithvi Ki Adbhut Rog Nashak Shakti
श्रेणी : आयुर्वेद / Ayurveda, स्वास्थ्य / Health
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1.22 MB
कुल पष्ठ :
36
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १३ )
सें कोई सुधार नहीं होता । वह तो दिन ब दिन झधिक खरचीली;
लिकस्मी व उल्टी घातक बनती जा रही है। लाखों करोड़ों
रुपया व्यर्थ औषधियों, भवनों, औजारों श्ादि में खर्चे किया
जा रहा है, परंठु रोग समूह तो दिन व दिन बढ़ते ही जा रहे हैं ।
एक बार जिससे दवा खा ली, हमेशा के लिए रोगी हो गया । उसे
तो दवा लेते २ ही उसर बीत जायगी ।
परंतु आज का युग वैज्ञानिक हैं और इसी में
विज्ञान उन्नति की चरम सीमा को पहुंच गया । लाखों तरह की
दवाइयाँ, चीर-फाड़ के नए २ तरीके, इंजेक्शन, टीका झादि का
होकर प्रचार बढ़ता जा रहा है । एंक्सरे के बिना काम
हो नहीं चलता । वैज्ञानिक ढंगते रोग परीक्षा (एप काश
न हो तब तक इलाज ही बेकार समका जाता है। जगह जगद
क्षय रोग के 8 स्वास्थ्य गृह खो-
ले जा रहे हैं । संक्रामक रोगों का टीका बलपर्वक सब को लगा-
या|जाता है. । इन सब उपायों से यदद आशा की जा रही है कि
जनता के आरोरय की रक्षा हो सकेगी ! पर खेद है, परिणाम
उत्टा हो रहा है । अकाल सत्य को संख्या बढ़ती ही जा रही
है । रोग-समूह जोर से फैले जा रहे हैं ।
कारण स्पष्ट है ! असली उपाय न तो कोई जानसे का यत्
करते हैं और न किसी को ऐसी शिक्षा दी दी जाती है । जब तक
रोगों का असली कारण हम न जान लें, इलाज क्या खांक करेंगे ?
चेचक का रोग रक्त दूषित होने से होता है रक्त खराब भोजन
से दूपित होता है। अब हम उपाय रक्त शुद्धि का नहीं करते,
बल्कि एक निर्दोष चद्ड़े के. शरीर से: «रस
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