ब्रजभाषा सुर कोश | Braj Bhasha Sur Khosh Part 8

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Braj Bhasha Sur Khosh  Part 8 by डॉ. दीनदयालु गुप्त - Dr. Deenadayalu Gupta

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१४१७ ४ संग संगति साथ अनुरूप । उ ---ते अपनै- अपने मेल निक्सी भाँलि भली--+ १०-२४ । मुहा०--मेल खाना बैठना या मिलना- १ साथ निभना । २ दो चौजो का जोड़ ठीक-ठीक होना । ५ जोड टक्कर बराबरी । ६ प्रकार रीति । ७ दो बस्तुओ का सिश्रण । मेजत--क्रि स हि. मेलना | डालता है । उ -- क कर पग गहि अेंगुठा मुख मेलत---१०-६३ । ख बरा कौर मेलत मुख भीतर--१२-२२४ । मेलना मेलनो--क्रि स. हि. मेल १ मिश्चित करना । २ डालना रखना । २ पहुनाना । क्रि अ --इकद्ठा या एकत्र होना | मेल मल्लार--सज्ञा पर स. एक रागिनी । मेला--सज्ञा पु स मेलक 1 १ भीड़-भाड़ । २ दर्शन उत्सव जंसे सासाजिक आयोजन के अवसर पर बहुत से लोगों का जमाव । मो ०--मेला-ठेल। -भीड-भाड़ । मेलाना मेलानो--क्रि स हि. मेल सेल करने या मिलने को प्रवृत्त करना । मेलि--क्रि स. हि. मेलना | डालकर रखकर । उ.--- क सालिग्राम मेलि मुख भीतर बैठि रहे अरगाई-- १०-२६२ | ख ग्वालिन कर तै कौर छूडावत मुख ले मेलि सराहत जात--४६६ । प्र०--मेलि मोहिनी--मसोहिनी डालकर । उ.-- ना जानौ कछू मेलि मोहिनी राखे अँग-अँग भोरि--- दि ७। मेली--सज्ञा पु. हि मेल सगी-साथी । वि --हेल-मेल रखनेवाला । क्रि स हि. मेलना | उपस्थित था प्रस्त॒त की विक्रयाथं रखी । उ - मुक्ति आनि मदे मो मेली---- ३१४४३ मेले---क्रि स बहु हि मेलना मसिलाये डाले मिश्चित किये । उ --हीग हरद ख्रिच छौके तेले । अदरख और आँवरे मेले--३९६ । मेलो मेलौ--कि स हि. मेलना डालो रखो । प०--बदि ले मेलो-बदीगह में डाल दो । छ.--- बरु ए गो धब हरौ कस सब मोहि बढ़ि लें मेलो रश११। मेल्यो मेल्यौ---करि स हि. मेलना | डाला रखा । उ.-चुपकहि आनि कान्ह मुख मेल्यी देखी देव बड़ाई एएए१९०-२६९। मेल्हना मेल्हनो-- क्र अ | देश | १ छदपढाना बेचेन होना । २ डाल-टूल कर समय बिताना । मेव--सज्ञा पू. देश 1 राजपुताने की एक ज्ञटेरी जाति मेवाती । मेवा--सज्ञा पृ स्त्री फा किशमिश अ दि सुखे फल । उप दही घृत माखन मेवा जो माँगी सो दे री १०१७६ । मेबाटी--सज्ञा स्त्री फा मेवा +- बाटी | एक पकवान जिसमें मेवा भरी जाती हैं। मेवाड़--सज्ञा पु. देश | राजपुताने का एक प्रांत । मेवात--सज्ञा पु स. राजपूताने और सिध का सध्य वर्ती प्रदेश | मेवासा--सच्ञा पु. हि. मवासा १ किला गढ़ | २ रक्षा का आशय या स्थान । ३ घर सकान । मेवासी--सज्ञा पु. हि मेवासा 3 १ घर का स्वामी । २ किले में सुरक्षित व्यक्ति आदि | मेप--सज्ञा पु. स. 1 १ भेड़ । २ एक राधि। ३ एक लगन । ४ सोच-वित्रार । मुहा०--मेष या मीन-भेष करना-- आगा-पीछा या सोच-विचार करना ॥ मेषे--सज्ञा पु वि स. मेष | सोच-विचार । मुहा० - करत मेषे--आगा-पोछा या सोच-विचार करता हूं । उ - मनों आए सँग देखि ऐसे रँग मनहिं मन परस्पर करत मेष--२४९३ । मथी-सज्ञा स्त्री स सादा भेड । मेहूंदी--सज्ञा स्त्री | स. मेन्धी एक भाड़ी जिसकी पत्तियाँ पीसकर लगाने से हाथ-पेर आदि अगों पर लाली चढ़ जाती है । मुहा०--क्या पैर मे मेहूँदी लगी है--जो किसी जगहू से उठकर काम करने न जा रहा हो उसको उठाने के लिए ताना । मेहूँदी रचना--मेंहदी लगाने




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