मनोजमंजरी | Manoj Manjari

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Manoj Manjari by नकछेदी तिवारी - Nakchhedi Tiwari

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१५ आन न मिलेगी चतुरानन बिचारे को । कुसम कमान के कमान को गुमान गयो करि अनुमान | भौंह रुप अति प्यारे को ॥ गिरधरदास दोऊ देखि नेन वारिजात बारिजात बार्जित सान सर वर को । राधिका को रूप देखि रति को | लजात रूप जात रुप ज्ञात रूप जातरूप बारे | को ॥ इ८ ॥ गोरी के हृथोरी शिव कबि मेहँडी के बिंदु इन्दु-ती को गन जाके आगे लगे फौको है । अँगुठा अनुप छाप मानो ससि आयो आप कर | कंज के सिलाप पात तजि दौकों है॥ आगे और आंगुरी चँगूठी नौलमनि जत बेठो मनो चाय | भरो चेठुआा अली को है। दवि के छला सों कोमलाई सों ललाई दौरि जौतत चुनो को रंग कोर छिगनी को है ॥ ३८ ॥ उच्जल अगगशड खण्ड सातयें महल सदा | मगडल चबारों चन्दमण्डल की चोटद्ीं । भी- तरइू लालन की जालनि बिशाल जोति बाहिर जुन्हादं जगी जोतिन के जोठहीं ॥बरनति बानी चींर ठारति भवानी कर जोरे रमा रानी ठाठी |




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