चुने हुए ज्योतिष योग | Chune Huae Jyotish Yog

Chune Huae Jyotish Yog by जगन्नाथ भसीन - Jagnnath Bhsin

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१५ भाव की वृद्धि होती है अर्थात्‌ भाव द्वारा श्रहृष्ट वस्तुओं की प्राप्ति होती है । . इस नियम का अनुमोदन फलदीपिका -कार इस प्रकार करते है यस्मिन्‌ राशी वतंते खेचरस्तद्‌ । राशीशेन प्रेक्षितश्चेत्‌ स खेट क्षोणीपालं कीतिमन्त॑ विदध्यात्‌ सु स्थानश्चेत्‌ू कि पुन. पारधिवेन्द्र ॥ ७-२५ अर्थात्‌--ग्रह जिस राशि मे स्थित हो उस का स्वामी यदि उस राशि को पुर्ण दृष्टि से देखे तो राजा का जन्म होता है और यदि वहू ग्रह अच्छे स्थान मे भी. केन्द्रादि में हो तब तो कया. कहना राजाओं का भी राजा होता है भाव यहूं है कि जो भाव अपने स्वामी द्वारा हष्ट है वह अभिवर्धित एवं प्रफुल्लित समझा जाना चाहिये । महान्‌ व्यक्तियों की कुण्डलियो मे बहुधा लग्नेश लग्न को देखता है । अथवा चन्द्र लग्न का स्वामी चन्द्र लग्न को अथवा सुये लग्न का स्वामी सुय॑ लग्न को देखता है जिस से लग्ने अभिवधित होकर राज्य- धन-स्वास्थ्य आदि को प्रदान करता है । ३ भांवेश जिस राशि में हो उसके स्वामी के बलाबल पर भी भावेश का फल निर्भर है १ किसी भावेश का अपने भाव के लिये जिसका कि वह स्वामी है अच्छा अधवा बुरा फल जहाँ उसकी उस राशि पर निर्भर करता है जहाँ पर कि वह स्थित है वहाँ वह फल इस बात पर भी नि्भर करता है कि जिस राशि मे वह स्थित है उसका स्वामी




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