वाल्मीकि रामायण और रामचरित मानस | Vaalmiki Ramayan Aur Ramcharitra Maans

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१५ समग्र व्यक्तित्व-समीक्षा १३० राम वाल्मीकि के राम-१३० तुलसीदास के राम-१३५ लक्ष्मण वाह्मीकि रामायण के लक्ष्मण-१४० मानस के लक्ष्मण-१४३ भरत . रामायण के भरत- १४६ मानस के भरत-१४७ सीता वाल्मीकि की सीता-१५० मानस की सीत्ता-१५२ दशरथ वात्मीकि के ददारथ-१५५ तुलसीदास के दनरथ-१५७ कौसल्या . वाल्मीकि की कौसल्या-१६ १ मानस की कौसल्या-१६२ ककेयी वात्मीकि की कैकेयी-१६४ मानस की कैकेयी-१६७ मथरा वाल्मीकि की मथरा+१७० तुलसीदासजी की मंथरा-१७० सुग्रीव . रामायण का सुप्रीव- १७९ मानस का सुग्रीव-१७३ वाली रामायण का वाली-१७४ मानस का वाली-१७५ ग्रगद वाल्मीकि का झ्रगद-१७६ मानस का शगद- १७७ हनुमान रामायण के हनुमान-१७६ मानस के हनुमान-१८० सूपंगाखा वाल्मीकि की नुपंणाखा-१८ २ मानस की चुर्पणुखा-१८ दे विभीपण वाल्मीकि का विभीषण -१८४ मानस का विभीषण-१८४ रावण वाल्मीकि का रावण-१८ ६ मानस का रावण-१८८ चरिन्न-हष्टि एव सर्जन-कौशल श्६्३ पात्रों की स्वायत्तता-१९४ चारित्रिक यथार्थता-१९५ शीलाभिव्यजना-१९६ उदात्तता-१९६ चरित्र-विम्ब सगति श्रौर ग्रन्विति-१ ६७ निष्कर्ष १६७३। ४ रस-योजना एबं सांवेगिक सौन्दर्य. २०१-र५८ संद्धान्तिक पीठिका २०१ रत-दृप्टि की व्यापकता-२०१ रस-योजना रस का वस्तुगत श्राधार-२०३ रस-योजना श्रौर सौन्दर्य-व्यजना-२०३ रसाचुभूति के विविध स्तर-२०५ रस के सम्बंध मे मानसकार का विशिष्ट दष्टिकोण-२०७ भक्ति रस र्ण्घ मानस मे वहुरगी भक्ति रस-२०९ श्रद्धतमुलक भक्ति रस-२०६ भ्रनुरक्ति- सुलक भक्ति रस-२१० वात्सल्यमुलक भक्ति रस-२१० दास्यमुलक भक्ति रस -२११ भयसुलक भक्ति रस-२१३ भ्यगार रस २१३ रामायण मे झ्रत्यंत सीमित सयोग शगार-२१४ मध्यवर्ती रामकाव्य की देन २१४५ मानस में श्रयोग पुर्वेराग श्य् गारं-२६१६ सयोग स्पगार-२१८ वियोग स्ठ गार-२१८ स्थंगार रसाभास-र२२४




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