सुधारस स्तवन संग्रह | Sudharas Stavan Sangrah
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2.35 MB
कुल पष्ठ :
102
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( २७ )
दवी जगीश ॥ जीनवर ज्ञक्ति वछीए, प्रेमे घ्र-
काशी ॥ सुणी श्री गुह वयण सार पूर्व रिवी
ज़ञाखी ॥ झष्ट करमने टाठवा, जीनमंदिर ज-
घ्युं ॥ जेटी चरण ज्ञगवंतना हुवे निमठ यए'
झुं ॥ कीर्तीविजय जवणायनों, विनय कहे कर
जोन ॥ सफद़ दोजो मुज विनति, जीन सेवा
_नुं कोर ॥ इति ॥
॥ श्री तिद्धाचउनं चेत्यबंदन ॥
विमत केवल झ्ञान कमला, कलित त्रिज्ूवन
छत करें ॥ सूरराज संस्तुतः चरण पंकज ॥ न-
मो छादि जीनेश्वरं ॥१। विस गिरिवर श्रेग
_ मंमण, प्रवर युण गण जूदर ॥ सूर असूर किन्नर
कोसि सेविंत ॥ नमो०् धशा करती नाटक कि-
ज्लरी गण गाय जीनगुय मनदरं ॥ नीज॑सवनी|
_ नमे छद्नीदा ॥ नमो०् ॥ ३ ॥ पुंगरिक गणपर
User Reviews
No Reviews | Add Yours...