सुधारस स्तवन संग्रह | Sudharas Stavan Sangrah

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Sudharas Stavan Sangrah by महावीर - Mahaveer

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about महावीर - Mahaveer

Add Infomation AboutMahaveer

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
( २७ ) दवी जगीश ॥ जीनवर ज्ञक्ति वछीए, प्रेमे घ्र- काशी ॥ सुणी श्री गुह वयण सार पूर्व रिवी ज़ञाखी ॥ झष्ट करमने टाठवा, जीनमंदिर ज- घ्युं ॥ जेटी चरण ज्ञगवंतना हुवे निमठ यए' झुं ॥ कीर्तीविजय जवणायनों, विनय कहे कर जोन ॥ सफद़ दोजो मुज विनति, जीन सेवा _नुं कोर ॥ इति ॥ ॥ श्री तिद्धाचउनं चेत्यबंदन ॥ विमत केवल झ्ञान कमला, कलित त्रिज्ूवन छत करें ॥ सूरराज संस्तुतः चरण पंकज ॥ न- मो छादि जीनेश्वरं ॥१। विस गिरिवर श्रेग _ मंमण, प्रवर युण गण जूदर ॥ सूर असूर किन्नर कोसि सेविंत ॥ नमो०् धशा करती नाटक कि- ज्लरी गण गाय जीनगुय मनदरं ॥ नीज॑सवनी| _ नमे छद्नीदा ॥ नमो०् ॥ ३ ॥ पुंगरिक गणपर




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now