श्री शंकराचार्य खंड - २ | Sri Shankracharya Vol -2
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12.76 MB
कुल पष्ठ :
333
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)४ | आधथंस्याथस्य श्रुत्यर्थनापबाधनीयताया समर्थ- नेम ब्फ्च प्रथिव्यादिच्वेतन्यमिदं नार्थमेव किं तु श्रुत्य थों5पि इति चोद्यापनोदनाथतया उत्तरसूचावतरणम् अधिष्टाघ्ीणां देवतानां चिदात्मनामेव चैतन्य श्रत्यमिमतमिति सूचार्थप्रदशनम् विद्ेषपद्स्य सौचस्य द्विघा योजनम् भूतेन्द्रियादिषु चेतनानुगतेरविशेषतो विशेष- तश्ध प्रपब्नमू कक पूर्वपक्षनिगमनमू कक € केदानखबश्थिकादिद्टास्तानू ाहयित्वा पराभि- मतप्रकृतिविकारभावसाधकस्य सारूप्यस्य वि- करुप्यासाघकत्वप्रद्शनमू जि परोपक्षिप्तप्रतिपक्षठिय्॑ विलक्षणत्वं त्रिधा विक- व्प्य अप्योजकत्वासिद्धबसाधारप्यबाधेस्तस्या- भासीकरणम् .र.र परिनिष्पन्नस्यापि ब्रह्मणः. आम्रायेतरप्रमाणगो- चरात्सप्रमाणमपनयनमू रद. श्रवणातिरेकेण मननविधानस्य सत्तर्कविषयत्व प्रद- शनेन तकांप्रतिष्ठानादिति सूत्रसंसत्या च झु- ष्कत काणामनवकाशीकरणमू जि विज्ञान॑ चाविज्ञान॑ च इति विभागश्रवणस्य रद र९र कि २९२ २९३ २९४ २९ २९५ र९५् २९६
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