हिंदी शब्द सागर | Hindi Shabda Sagar

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Hindi Shabda Sagar by बाबू रामचंद्र वर्मा - Babu Ram Chandra Varma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हंप्रदूजन श् मंपपरपरा झ्प्रूजन-सन्ना, पु० [स०] थाँता पा रज । खेद । २ ततरदूदुद । सटवा । साब्द । भँती वी गुडगुढादट 1 ि का [सगु [सना अघता] १. नेत्र अेग्रवृद्धि-सज्ञा स्त्री [ स०] माँत उतरने दीन । विना आँस वा | थथा 1 जिसवीं था रोग। आँबों में ज्योति न हो। जिसमें देसने वी अंग्रांडदृद्धि-सज्ञा स््री० सिटी एवं रोग छक्ति न हो । २ अजानी । अजानवार 1 जिसम आँपें उतरवर फोते में चली आती अनजान । मूस॑ । बुद्धिहीन 1 अधियेवी 1 है और फोता पूल जाता है। दे. मसावधान । अयेत । गाफिठ ४. सअप्नी*-सज्ञा स्त्री स० भन्त्र) -अंतडी। उन्मत्त। मतवाला । मस्त। अदर-प्रि० बि० [ फाणु भीतर। सज्ञा पु० १ वह ध्यवित जिसे आँसे न हो । 'ेंदरसा-सशा पु० [ फा० सदर न स० रस] नेश्रहीन प्राणी । अधा । २ जल । मानी एव प्रवार की मिठाई। दे उल्लू । ४ चमगादड । ५. अँधरा। अंदरी-बि० [ फा० अन्दर +ई] भोतरी। अधकार 1 ६ वचदियों के वाँध हुए पथ वे' अदरनी-बि० [ फा० भीतरी । भीतर था। विरुद्ध चलने था माव्य-सवधी दोप । अदाश-सज्ञा पु [ फा० ] [ सत्ता अदाज़्ी, अधक-सज्ञा पु० [स०] १. नेत्रहीन प्रि० वि० अदाजन] १ अटकल । अनु- मनुष्य । दृष्टिरहित श्यक्ति। अधा। २ मान । मान । नाप जीख । कूत । तख- कय्यप और दिति का पुत्र एव दंत्य1 मीना । दे० “अदाज़ा”। २ ढय । ढंग । अघकार-सज्ञा पू० [सर] मेंघेरा। तोर। तज । थे मटक । भाव । चेप्टा । अघकूप-सज्ञा पु० [ स०] १. अधा कूंआ। झदाज़न-क्रि० वि० [फां०] १ थन्दाज् से। सूखा कूँथा । वह बूँया जिसका जल सूख अटल से। २. लगभग। वरीव । गया हो और जो धास पात स ढका हो। अंदासपदुटी-सज्ञा स्नी०|फा० अंदाज़ + पट्टी २ एक नरक का नाम । है अंघर!। (भूमाग) ] खेत में लगी हुई पसल के अंधलोपडी-सन्ना स्त्री० [ स०, अन्घ + हिं० मूल्य को कूतना । कनकूत । खोपडी ] जिसके मस्तिष्क में बुद्धि न हो । अदाज्ञा-सज्ञा पु० [फा०] बठटक्ल । मूर्ख । भोटू । सासमक। अवुमान। कूत। तखमीना। अधड-सज्ञा पु० [ स० अध] गर्द॑ लिए झड़, मदुक-सज्ञा. पु० [स०] १ पर में हुए बड भोके की वासु। वेगयुवत पदन। पहनने वा स्त्रियों का एक गहना । पाजेब। आँधी । तूफान । पैरो। पंजनी। २ हाथी बे वाँघन का अंधतमस-स्ञा पु० [ स०] महा अधकार। साँकडा था रस्सी। गहिरा बेँवरा। गाढ़ा अँघरा। भेदुआ-सज्ञा पु० [ स० अदुक] हाथियों के अधता-सज्ञा स्त्री [स०] अधापन। पिछले पर में डालने के लिएं लकड़ी का दृष्टिहीनता 1 यना कौटेदार थत्र अघतामिल-सज्ञा पु० [स०] १ घोर अदेशा-सज्ञा पु० [फा०] १. सोच । अधकारयुक्त नरव। बड़ा अँधरा नरक । 1 घिता। फिक्र। रे. संयाय । अनुमान २१ बड़ नरको में दूसरा। २ सात्य में सदेह । दाक। ३ खत्का । माशका। इच्छा वे विधघात या विपय्पंय के पाँच भेदों भपष । डर। ४ हरज । हानि 1 ५ दुविधा । में से एक। जीने बी इच्ठा रहने भी असमजस । थागा पीछा । पसोपय 1... मरने का मय। ३ पाँच बलशो में से एव । अेंदोर*-सज्ञा पु० [ सं० आदोल > भूलना, मृत्यु का भय। (योग) हलचल] घोर । इत्ठा 1 हुत्टड 1 मंघघुघध*-राज्ञा स्त्री दे० “अघाघुध अदोह-सज्ञा पु० [ फा०] १ शोक! दुख । झंघपरपरा-सय्ा सथ्री० [ सं०] बिना राम के




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