गोरिल्ला | Gorilla

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Gorilla by स्वामी सत्यभक्त - Swami Satyabhakt

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पहिली गोली .] २ श्रब सिपाहियों का डर जाता रहा | वह सिपाहियों की मार-पीट श्र भागने के कारण वेहद थक गया था और जमीन पर पड़ते ही उसे गहरी नीद श्रा गई । जब उसकी झ्राँखें खुलीं तो तीन-चार घटे दिन चढ चुका था श्र चारों तरफ तेज धूप फैली हुई थी । सबसे पढ़िले उसकी निगाद यामी मुलन पर पड़ी जो पास ही खड़ा हुआ डरी निगाह से उसे देख रहा था । केसी को जगा हुआ्रा देखकर टामी ने रोती हुई श्रावाज से पूछा-- केसी साहब श्रापकी यह कैसी हालत है? पर झब केसी साह्र बिल्कुल बदल गये थे । उसने हँसते हुए मुलन से कहा-- नदीं मैं बिलकुल अच्छी तरह हूँ । ठुम कहां से श्रा गये मुलन ने जवाब दिया-- श्ाज सुबह जब मै अपने छुपने की जगद से चादर निकला तो दूर हो से मैंने श्रापको पढ़े.देखा पर बहुत देर तक डर के मारे श्यापके पास नहीं झाया । आह केखी साह्न आप तो सर से पैर तक खून में सने हुये हैं । केसी ने जवाब दिया-- इॉ सर में कुछ चोट लग गई थी । इसके बाद उचने हँसते हुए कहा-- मुलन श्रब मैं त॒म्दारा गुरु नही रहा । श्रत्र वुम मुक्त साहब न कह कर केवल जेन्त या केसी के नाम से बात किया करो । मैं आयरलैंड की गोरिल्ला सेना में शामिल होना चाहता हूँ । इस समय यहाँ पर तुम्द्ारे सिवा उसका ऐसा कोई पदाधिकारी नही है जो शत्र का मुक़ाबिला कर रहा हो । इसलिये मेहरवानी करके मेरा नाम झपने सिपाहियों में लिख लो ।




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