पृथ्वी दर्शन | Prithvi Darshan

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ए. ए. मैकडौनेल - A. A. Macdonel

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डॉ. रामकुमार राय - Dr. Ramkumar Rai

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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दे. हर ग्रन्थ की विषय-सीमा--जैंसा कि ऊपर उल्लेख कर घुका हूँ आरम्भ में. योजना यह थी कि इस ग्रन्थ मे वैदिक साहित्य मे उपलब्ध व्यक्तिकाचक नामों द्वारा व्यक्त होने वाली ऐतिहासिक सामग्री मात्र प्रस्तुत की जाय । किन्तु ज्योही मैंने इस प्रकार उपलब्ध ऐतिहासिक सामग्री का सतकंतापूर्वक प्रसीक्षण आारम्स किया मुश्ते यह विश्वास हो गया कि व्यक्तिवाचक नामों तक ही सीमित रहने के यरिणामस्वरूप एक पुस्तक के रूप से संगृहीत करने के लिए अत्यन्त कम सामग्री ही हस्तगत हो सकेगी । हम लोगों को प्राघीनतम भारतीय ग्रथो में उपलब्ध सभी ऐतिहासिक सामग्री एकत्र करना और इस प्रकार आर्य सम्यता के उन सभी ग्राचीनतम पक्षो का विवरण प्रस्तुत करना आवश्यक प्रतीत हुआ है जो प्रत्यक्ष ग्रमाणो हारा एकत्र किया जा सकता है। मुभ्ते विश्वास था कि उपयुक्त ओर पर्याप्त प्रयास करने पर प्राचीन वैदिक तथ्यों से युक्त एक व्यापक भर वास्तविक दृष्टि से महत्त्वपूर्व ग्रन्थ की रचना की जा सकती है क्योकि इसके अन्तगगंत कृषि ज्योतिष अन्त्ये्टि जाति वेद्व-भुषा अपराध व्याधियाँ आर्थिक स्थितियाँ खान-पान दूत राजसत्ता न्याय और विधान विवाह नेतिकता व्यवसाय वहुपल्लीत्व और बहुभतृ त्व स्त्रियों की स्थिति व्याज भौर ऋण ग्राम समुदाय युद्ध विवाह- संस्कार सती अमिचार तथा अनेक अन्य विषयों से सम्बद्ध उन सभी विवरणों का समावेश किया जा सकता है जो वैदिक साहित्य मे उपलब्ध हैं । इसी प्रकार वैदिक-कालीन जनसंख्या का भौगोलिक विवरण भी प्रस्तुत किया जा सकता है। फिर भी इस प्रकार विस्तारित ऐतिहासिक प्रदत्तो के अन्तर्गत मैंने धर्म के क्षेत्र से सम्बद्ध विषय-वस्तु को नहीं रखा है क्योकि इस पर एक स्वतन्त्र ग्रन्थ की रचना ही अधिक उपयुक्त समझी गई । साथ ही साथ शीघ्र ही यह भी स्पष्ट हो गया कि उस काल के सामाजिक और राजनेतिक जीवन से अविभेद्य रुप से सम्बद्ध वाभिक कृत्यो के कुछ पक्षो जेंसे प्रमुख पुरोहितों के कार्य और कुछ उत्सवो तथा सास्कारिक कार्यो का समावेश करना ही पड़ेगा । पुनः कदाचितु पूर्णतया पुराकथाशास्त्रीय व्यक्तियों के नामों का भी उल्लेख करना होगा क्योकि अक्सर यह दिखानेवाले प्रमाण अपर्याप्त हैं कि कोई नाम किसी वास्तविक ऐतिहासिक व्यक्तित्व का चोतक है अथवा नहीं ऐसी दशाओ मे दानव अथवा पौराणिक नायक या पुरोहित का ही आशय हो सकता है । ऐसे असन्दिग्ध दानवो तक का जैसे जिस एक को ग्रहण उत्पन्न करने वाला माना गया है भी उल्लेख करना पड सकता है क्योकि यह पुरातन ज्योतिष के क्षेत्र से सम्बद्ध हैं । कालालुगत सीमा +--आरम्भ में निश्चित कर लिया गया था कि वेदों




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