श्री नेमिनाथ पुराण | Shri Neminath Puran
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13.31 MB
कुल पष्ठ :
342
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about उदयलाल काशलीवाल - Udaylal Kashliwal
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)महू और-प्रस्तीदना।........ ३ करवट परे पेवेपरफे लक गा पेपर रंफरपेरेल रफेटर के ९ ररेररे के ०एरए केसर केश ऋ/परपेलि तस्कर रेफर रतपरर अतररलएस रेप तट... सरमरेयस्ेकररयीफेशटसला - सूरजके समान अन्वकारको नाशकर जो नल प्रकाश करती है उस निर्मढ जिनवबाणीकों नमस्कार है ।।.. - रनत्रय-पत्रित्र जुनियोंके सुख देनेवाछे और ससार-समुद्रसे पार प्करनेवाले चरण-कमलोकों नमस्कार है । द निमल मूलमघरूपी ऊचे उदयाचल पर जो सूरजके समान जोभाकों घारण करते है उन मछ़िमुषण भट्ारकवी जय हो । मोक्षमार्गका प्रकाण करनेके छिए दीपकके समान और अर ज्ञानके ससुर गुण-विराजमान यसुरुजन मेरे हृदयकमठमें बसे । इसप्रकार देव गुरु और श्र॒देवीके चरण-कंमलोंका रमरण मेरे उस पुराणरूपी ऊँचे महल पर कंलदाकी शोभाकों घारण करे । . जिम पुरणको शुणभद्र जैसे महाकवियोंने कहा उसके कहनेका मुझ मरीखा अल्पन्न भी साहस करे यह थोड़े आश्चर्यकी वात नहीं । अथवा सूर्पके द्वारा प्रकाशित रास्तेमें कौन आखोंवाला पुरुष बिना किसी कठिनाईके न जा सकेगा उसी तरह य्यपि मैं अल्पज्ञ हू तथापि उन पूर्वाचार्यीकी कृपासे नेमिनाथजिनका यह . पत्र व्वस्ति अपने तथा दूलरोंके हितके छिए संक्षेपमे कहनेका साहस करता हू। यदि बहुत अमृत न मिले तो क्या प्राप्त हुआ धोड़ा अमृत पीकर सुखी न होना चाहिए यहीं सब विचॉरकर और-अपने बान्धव जन सिहनन्दी आदि आचाये तथा अपना हित चाइनेवढि अन्य झव्य- जनोंकी प्रेरणासे अपनी शाक्तिके अनुसार नेमिनाथजियकां . चरित िखता हूं वीर पुरुषके-द्वारा उकसाया -कांयर-डरपॉक मी झूरवीर न्बन जाता है
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