जातक खण्ड - ३ | Jatak Khand - 3

Jatak Khand - 3 by भदन्त आनंद कोसल्यानन- Bhadant Aanand koslyanan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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5० ३३४ राजोवाद जातक . .... ... . कि २७१ राजा के झ्रघार्मिक होने पर फल श्रमधुर हो गये और घामिक होने पर दुबारा मधुर । ३३९४ जम्छुक जातक . . लिन विन ९२७७ गीदड़ ने हाथी को मारना चाहा | हाथी का पाँव पड़ते ही चूण-विचूण हो गया | २३६ ब्रह्मा उत्त जातक सर मर २८० ब्रह्मचारी लोहे की गाएरो में से घन निक्राल उसकी जगह तृणश भए कर धन ले गया 1] ३३७ पीठ जातक. - ि ्ज २८३ ब्रह्मचारी का श्रातिथ्य न कर सकने के लिये सेठ ने घ्रहझझचारी ते क्षमा मांगी ।] ३३८ थुस जातक के #े ० कक व के रद्द 0 ५ श्राचा-य द्वारा सिंखाई गई चार गाथाओं ने राजा की रक्षा की ।] ३३६४ बावेरु जातक... रप३ वावेरु राष्ट्र मे कौवा सौ कार्पापण में श्रौर मोर एक हजार कार्घोपण मे बिका 1] शििच् ३४०. विसरह जातक नफ ही किक रद्द संठ ने घात खोद कर भी दान-परम्परा को जारो रखा ।] हर २. चूजकणाल वेग २8६ ३४१. किन्नरी जातक ् २६६ इसकी कथा कुणाज जातक में श्रायेगी 1] ६४२ घानर जातक. कर्क ् अर रद _ मगरमच्छनी ने बन्द्र का छृदय सास खाना चादा 1]




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