विश्व इतिहास की झलक - खंड 1 | Vishwa Itihas Ki Jhalak Khand - 1

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सालगिरह की चिंडटी पविग प्रियवर्शिनी के बॉस पक से रस जन्मदिन फर--- रु 1 सेण्दुल जेल नैती २६ अपतूबर १९३०१ अपनी सालगिरह के दिन तुम बराबर उपहार और वुभनकागनायं पाती रही हो । शुभकामनायें तो तुम्हे अब भी बहुतनवी मिलेंगी । लेकिन नैनी-जेल से में तुम्हारे ाए कौन-सा उपहार भेज सकता हूँ ? फिर मेरे उपहार बहुत रथूल नहीं हो सकते । हो हुआ के समान सुकष्म ही होंगे जिनका मन भौर आत्मा से सम्बन्ध हो--जेसा रहार नेक परियाँ दिया करती हूं और जिन्हें जेल की झँची वीवारें भी नहीं रोक फंसी । |... प्यारी बेदी तुम जानती हो कि लोगों को उपदेश बेना और नेक सलाह बाँट्भा पु कितना साफ है। जब कभी ऐसा करने को मेरा जी लखचाता हू तो मुझे जुमेका एक बहुत अक़लमर्द आदमी की कहानी याद आ जाती है जो मेने एक बार पढ़ी थी । कभी शामिदे तुम सुन उस पुस्तक को पढ़ोगी जिसमें यह कहानी लिखी है । तेरहू सौ भरस हुए एक भवाहुर यात्री ज्ञान और इत्म को खोज में चीन से हिखुस्तान मांगा था 1 उसका नाम हूएनत्सांग था । उसकी ज्ञान की प्यास इतनी तेज थी कि बह अनेक खतरीं का समता करता अनेक सुसीबतों और बाधाओं को झेलता मौर | जीतता हुआ उत्तर के रेगिस्तानों और पहाड़ों की पार करके इस देश में आया था । १. इर्दिरा को जन्मदिन ईसाई पंचांग के हिसाब से १९ नवस्वर को पढ़ता है | ठेंकिस चिफगी संधत के अनुसार २६ अक्तूबर को मनाया गया था । ं ५. हृथूएनस्सागि-यहू एक प्रसिद्ध बौद्ध भिक्षुक और चीनी याती था । इसका समय सम ६०५ से ६६४ के काभग माना जाता है । ६२९ में यह हिखुस्तान के लिए रवाना हुआ । उन दिनो चीन में साही हुक्म के अनुसार बिवेश-याता मना थी इस । लिए इसकी रवागगी को पता छगने पर इसकी गिरफ्तारी की बड़ी कोशिश की गई लिन बड़ी कर्िमाइयों से गह वहाँ से सिकल भागा और रास्ते में भी बहुत मुझीव्स झेली यहाँतक कि भारनपाँव दिग पानी तक को तरसता रहा । मगर यह घंबराया नहीं और हिंदुस्तान था पहुँचा । इसमें यहां से लौटने के बाद चीस अध्यर/ एशिया रे भारत की तस्कालीने स्थिति को बड़ा ही दिलचस्प बर्णन लिखा है 7 1




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