लालारुख़ | Lalarukh

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Lalarukh by आचार्य चतुरसेन - Achary Chatursen

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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लाला रुख _. शाहजादी हम जो कुछ कर रहे हैं उसका अंजाम क्या होगा | शाहजादा जब यह भेद जान मेंगे तो हमारी जा की चर नहीं । मुक्ते अपनी जरा परवा नहीं पर आपको उस प्रलय में में न देख सकूंगा। ओह इज्ाहीम शाहजादे बहुत इदार हैं बह समभते होंगे मुहच्चत में किसी का जोर जुल्म नहीं चलता । बहु हमें साफ़ कर देंगे | ? नहीं शाहजादी वह तुम्हें झपनी जान से ज्यादा चाहते हैं माफ़ न करेंगे 1 तो इन्नाहीम मैं खुशी से तुम्दारे साथ सरूँगी । क्या तुम सौत से डरते हो । नहीं दिलरुबा झोर खासकर इस प्यारी मौत से । ? तो फिर यह राज क्यों पोशीदा रक्‍्खा जाय शाहजादे को लिख दिया जाय | ? ये तमाम ठाट बाट हवा हो जायेंगे । ? उसकी परवाह नहीं तुम भेरे सामने बेठकर इसी तरह गाया करना मैं तुम्दारे लिए रोटियाँ पकाया करूंगी | प्यारी शादज्ादी । बेहतर हो इस गुलाम को भूल जाओ |? | ऐसा न कहो यद कलमा सुनने. से दिल धड़क उठता है. ः तो फिर तुम्हारा कया हुक्म है । .. पाहजादे को मैं सब हकीकत लिख भेजूँगी । ... तुम क्यों यह काम में करूँगा फिर नतीजा चाहे भी जो हो | ४. हल पद




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