आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का काव्य - दर्शन | Acharya Ramchandra Shukl Ka Kavya Darshan

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का काव्य - दर्शन  - Acharya Ramchandra Shukl Ka Kavya Darshan

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about रमाशंकर तिवारी - Ramashankar Tiwari

Add Infomation AboutRamashankar Tiwari

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
अध्याय कक पृष्ठ (ई) विदेशी समीक्षाशास्त्री (११) क्रोचे का अभिव्यक्तिवाद न १२६--१४० सौन्दर्यशास्त्र अन्त करण के व्यापार कला का आविर्भाव रूपात्मक अन्तर्ज्ञान तथा अभिव्यक्ति कतिपय पदों की पर्यायता द्वेत की स्थिति अन्तर्ज्ञानात्मक अभिव्यक्ति की सफलता उक्त पदों की व्यवहारगत फिसलन कला बनाम प्रत्यय-बोध सौन्दर्य और आनन्द कविता और अनुभूति प्रगीत्यात्मक अन्तर्ज्ञान विशेष तथा विश्व का समन्वय जीवन का ऊर्ध्वॉन्मुख रूपान्तरण परम्परापोषित नियमों का विरोध व्यावहारिक आलोचना क्रोचे की लुटियाँ और उपलब्धियाँ । (१२) आचार्य शुक्ल की आलोचना १४०--१४८ अभिव्यंजनावाद नहीं अभिव्यक्तिवाद फार्म साँचा नहीं शोक या. करुणा की आनन्दस्वरूपता क्रोचे की कल्पना का गलत ग्रहण क्रोचे की पद्धति के छह बिन्दु क्रोचे की अभि- व्यक्ति और वक्रोक्ति । (१३) आई० ए० रिचडस और आचायं शुक्ल १४८--१५८ कविता का लक्ष्य रिचडंस और सामंजस्य रिचर्ड स से शुक्ल जी की पृथक्‌ता काव्यानुभव की सामान्यता रिचर्ड्स की अलंकार-योजना वस्तु-पक्ष की अवहेलना निष्कर्ष । (उ) व्यावहारिक समोक्षाएँ (१४) जायसी को पर्मावत / कं ..... रैशर्यगा१६७ _ त्तत्वाभिनिवेशी समालोचना रत्नसेन का पुर्वराग पूर्णराग बनाम पुर्णरति पद्मावती का पुर्वराग वियोग-वणन को सराहना विरह-वणन की अद्वितीयता । (१४५) सुरदास १६७--१७० सुर-काव्य का सीमित दायरा सूर और तुलसी सुर की भालोचना खटकती है शुक्लजी की सहदयता 1 (१६) तुलसीदास १७०-१प५ तुलसी का भक्ति-मार्ग मानस की धर्मभूमि तुलसी की काव्य-पद्धति तुलसी की भावुकता बाह्य दश्य-चिलण शुक्ल- जी भौर साम्यवादी चश्मा ।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now