मनोरंजन पुस्तक माला - २२ | Manoranjan Pustak Mala -22

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Manoranjan Pustak Mala -22 by श्यामसुंदर दास - Shyam Sundar Das

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( दे ) यामे और संगीवकला तो. अवदय सिखाई जाती थी तथा गणित और ज्योतिष की शिक्षा भी दी जाती थी । दाशनिक शिक्षा के पहले भी कई विद्वान हो गए थे जिन में अनक्सा- गोरस हिराकीटश और मरमेनीडास इत्यादि सुख्य थे । इसके सिवाय सोफियाइ की करतूतों का तो ऊपर वर्णन हो ही चुका है । यद्यपि यूनानियों का राजनैतिक बढ इस समय बहुत बढ़ा चढ़ा था पर तो भी उन्हें कभी कभी प्रबछ दचुओं का सामना करना ही पड़ता था और दो एक मौकों पर हार भी खानी पड़ी थी जिस कारण छोगों पर ताने मारने का मौका भी कवियों को मिछ गया था और कई प्रंकार के नाटक रच रच कर इसका खेठ भी दिखाया जाता था जिसे सर्वे- साधारण बड़े चाव से देखते सुनते थे । इन नाटकों के रच- पिता सोफियाइयों के तो पूरे कालस्वरूप थे क्यों कि सोफियाइयों का नया दढ हर दस पुराने दाद निक और प्राचीन धर्स्स विश्वासी कौ चिघ्वी चढ़ाया करता था और छोग अपने अपने विचारों के. . ज़लुखार पुरानी बातों की कुछ परवाह न कर नए नए विचार प्रगट करने ढंग गए थे । यह बात उन पुराने ढंग के कवियों को बहुत ही बुरी छयी और वे ढोग व्यंग्यपूंगण काव्य और नाटक बना कर सोफियाइयों की मट्ी पढीत करने पर उतारू न र | इन नए विन्वसियों में से कई छोग अपने को बड़े बढ़े दाझनिक मी प्रमंट करते थे जिनके नए नए विश्वासों के कारण सोफियाइयों की भौतिं इनसे भी पुराने विचार के छोन चूजा करते ये । कारण येद था कि सुकरात के जन्म के फ्दढे जिस दझेन का यूनान में प्रचार था वह भारतवर्ष




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