सोहाग बिन्दी तथा अन्य नाटक | Sohag Bindee Tatha Anya Natak

Sohag Bindee Tatha Anya Natak by पं गणेशप्रसाद द्विवेदी - Pt. Ganeshprasad Dwivedi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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साहागबिन्दी बदमाश हो । जानते नहीं श्रगर कोई जानवर यहाँ कट जाय तो. हमारे ऊपर एक हज़ार रुपया जुर्माना हो जायगा । अरब खबरदार श्रगर कभी कोई जानवर यहाँ दिखाई पड़ा गजाघर-- हिथ जोड़कर] सरकार पू कहूँ चारा त हबे नहीं न गोरू कहाँ जायें कसन जिएँ पू हजूर ? बाबू-- चिल्लाकर खड़े होकर] ्ररे तो में कया करूँ बदमाश हमारी नौकरी लेगा ? लैन की घास चराकर तेरे गोरू पलेंगे तो इससे मेरा क्या फ़ायदा होगा ? मैं क्यों हुक्म देने लगा ? महदराज-- उसी क्रोध की मुद्रा से] कहा बाबू के सेर भर दूघ पहुँचाइ जावा करो तौन सुनवबे न किहिस काली बाबू पीछे घूमकर इधर-उधर घूमने लग जाते हैं] । गजाघर--शरे महराज सेर भर त कुल ढुधवै होथे त कसत करी पू। बाबू-- महराज से बनावटी क्रोध से] क्या बेसिर-पैर की बातें करते हो महराज सुझे नहीं चाहिए इन बदमाशों का दूघ । गजाघर--झरे सरकार पू जवन होइ सकी पाउ झाधसेर पहुँचावा जाई पू. हाँ पू । च्




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