प्रथम बुद्ध सन्देश | Pratham Buddh Sandesh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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|. १०. | साशं उदपादि पब्चा उदपादि विज्ञा उदपादि झआलोकों उदपादि । त॑ खो पनिदें दुक्खनिरोधगासिनी पटिपदा झरियसच्च॑ भावितन्ति से सिक्खवे पुब्बे झनवुस्सुतेसु धस्मेसु चक्‍्खु उद- पादि चाणूं उदपादि पब्चा उदपादि थिज्ञा उदपादि ्यालोकों उदपादि | | १२] यावकीवव्ब से सिक्खवे इमेसु चतूखु अरियसच्चेसु एवं तिपरिवट्ट ह्वाइसाकारं यथाभूत॑ आाणुद्स्सनं न सुविसुद्ध॑ अह्दोसि नव तावाहँँ समिक्खवे सदेवके लोके समारके सब्रह्मके सस्समण- न्राह्मणिया पजाय सदेवमनुस्साय अचनुत्तर सस्मासस्वोरधि असि- सस्वुद्धोति पचब्ञासिं | १३] यतो च खो से मिक्खवे इमेसु चतूसु झरियसच्चेसु एवं तिपरिवट्ट द्वादसाकारं यथाभूत॑ जाणदस्सनं सुविसुद्ध अह्दोसि अथाहूँ सिक्खवे सदेवके लोके समारके सब्नह्मके सस्समया- श्राह्म- शिया पजाय सदेवमनुस्साय अचुत्तरं सम्मासस्वोरधि अभिसम्बुद्धोति पचब्व्यार्सि । लाणुब्य पन में दस्सनं उद्पादि अकुप्पा से चेतो- विमुत्ति झायमन्तिमा जाति नत्थिदानि पुनन्भवो ति । | ६४] इदमवोच भगवा अत्तमना पद्चवरिगिया सिक्खू भगवतों मासित अभिनन्दुन्ति । घस्मानुभावो 1१४] इमस्मिव्व पन वेय्याकरयुस्मि भव्घ्यमाने आयस्मतों




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