नवीन मनोविज्ञान | Navin Manovigyan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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य्ः नवीन मनोविज्ञान के बाहर मनुष्य की सफलता श्और सुख बहुत बड़ी सीमा तक उसकी अन्य व्यक्तियों से संठुलित सम्बन्ध स्थापित कर सकने की क्षमता की अपेक्षा रखता है | व्यक्तिगत जीवन के श्रतिरिक्त मनुष्य को सामूहिंक जीवन भी बताना पड़ता है | घर से निकल कर सड़क पर श्राते ही मनुष्य का व्यक्तिगत जीवन समातत होकर उसका सामूहिक जीवन ग्रारम्म हो जाता है । श्रपनी बिराद्री में अपने विद्यालय में अपने राजनीतिक सम्प्रदाय में मनुष्य का जीवन सामूहिक होता है । सामूहिक जीवन में सफल होने आर संतुलित सम्बन्ध बनाए रखने के लिए. मनुष्य को अपने समूह का साथ श्र सहयोग देना चाहिए । बन्दीघर ऐसे व्यक्तियों के उदाहरण है जो अपने समूह से सफल सम्बन्ध स्थापित नहीं रख पाते | हर समूह का अन्य समूहों से भी सम्बन्ध होता है श्र समूह-समूह में भी संतुलन की समस्याएँ रहती हैं । जत्र दो समूहों का संतुलन और _ सम्बन्ध सफल नहीं रह पाता तो युद्ध के बादल मँडराने लगते हैं। यही. नहीं बहुत से राष्ट्रीय भऋगड़े तो विभिन्न राजनीतिक सम्प्रदायों की आपसी अशांति के कारण होते रहते हैं । मजदूर आर पुँजीवादी वर्ग का संघर्ष साम्यवादियों श्रसाम्यवादियों श्रौर रूढ़िवादियों के राजनीतिक कलह हिन्दुस्तान श्रौर पाकिस्तान की अन्यमनस्कता दो समूहों के संतुलित सम्बन्धों का ही पस्णिम है । मनोवैज्ञानिकों का विश्वास है कि समूहों के संतुलित सम्बन्धों का हल उसी प्रकार किया. जा सकता है जिंस प्रकार व्यक्ति के संतुलित सम्बन्धों का किया जाता है । मनुष्य की सुख-सम्द्धि मनुष्य-मनुष्य और मनुष्य-समृह के सफल सम्बन्ध के अतिरिक्त भौतिक जगत के नियंत्रण पर मी आधारित होती है । भौतिक जगत में होने वाले परिवतनों से मनुष्य के मानसिक दृष्टिकोण का भी परिवर्तन होता है. और उसकी समस्याओं का रूप बदल जाता




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