नवीन मनोविज्ञान | Navin Manovigyan

Navin Manovigyan by मधुकर - Madhukar

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about मधुकर - Madhukar

Add Infomation AboutMadhukar

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
य्ः नवीन मनोविज्ञान के बाहर मनुष्य की सफलता श्और सुख बहुत बड़ी सीमा तक उसकी अन्य व्यक्तियों से संठुलित सम्बन्ध स्थापित कर सकने की क्षमता की अपेक्षा रखता है | व्यक्तिगत जीवन के श्रतिरिक्त मनुष्य को सामूहिंक जीवन भी बताना पड़ता है | घर से निकल कर सड़क पर श्राते ही मनुष्य का व्यक्तिगत जीवन समातत होकर उसका सामूहिक जीवन ग्रारम्म हो जाता है । श्रपनी बिराद्री में अपने विद्यालय में अपने राजनीतिक सम्प्रदाय में मनुष्य का जीवन सामूहिक होता है । सामूहिक जीवन में सफल होने आर संतुलित सम्बन्ध बनाए रखने के लिए. मनुष्य को अपने समूह का साथ श्र सहयोग देना चाहिए । बन्दीघर ऐसे व्यक्तियों के उदाहरण है जो अपने समूह से सफल सम्बन्ध स्थापित नहीं रख पाते | हर समूह का अन्य समूहों से भी सम्बन्ध होता है श्र समूह-समूह में भी संतुलन की समस्याएँ रहती हैं । जत्र दो समूहों का संतुलन और _ सम्बन्ध सफल नहीं रह पाता तो युद्ध के बादल मँडराने लगते हैं। यही. नहीं बहुत से राष्ट्रीय भऋगड़े तो विभिन्न राजनीतिक सम्प्रदायों की आपसी अशांति के कारण होते रहते हैं । मजदूर आर पुँजीवादी वर्ग का संघर्ष साम्यवादियों श्रसाम्यवादियों श्रौर रूढ़िवादियों के राजनीतिक कलह हिन्दुस्तान श्रौर पाकिस्तान की अन्यमनस्कता दो समूहों के संतुलित सम्बन्धों का ही पस्णिम है । मनोवैज्ञानिकों का विश्वास है कि समूहों के संतुलित सम्बन्धों का हल उसी प्रकार किया. जा सकता है जिंस प्रकार व्यक्ति के संतुलित सम्बन्धों का किया जाता है । मनुष्य की सुख-सम्द्धि मनुष्य-मनुष्य और मनुष्य-समृह के सफल सम्बन्ध के अतिरिक्त भौतिक जगत के नियंत्रण पर मी आधारित होती है । भौतिक जगत में होने वाले परिवतनों से मनुष्य के मानसिक दृष्टिकोण का भी परिवर्तन होता है. और उसकी समस्याओं का रूप बदल जाता




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now