धर्म्म और विज्ञान | Dharmm Aur Vigyan

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Dharmm Aur Vigyan by भगवानदीन - Bhagawanadeen

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ९६ ) हुआ सूय॑ सनुष्यों के पूजन के हेत सवात्तम व्यक्ति सानागया था। एशिया निवासी जातियें में ससाट से बढ़कर किसी का सान नहीं है। और आकाश में सूय॑ निकलते ही अन्य सब वस्तुएं विलीन हेजाती हैं ॥ बहुत से बड़े बड़े संकल्पों के भपूण छोड़ तेंतीसवां वर्ष पूरा होने के पहलेही बेबीलान नगर में -सिकन्द्र असमय मर गया । लेग ऐसा भी सन्देह करते हैं कि उसे विष दियागया । उसकी प्रकृति ऐसी उदंड होगई थी और उसका क्रोध ऐसा अयंकर हो उठा था कि उसके जनरल और उसके गाढ़े सित्र भी सदैव सभनीत रहा करते थे । क्लाइटस नासक अपने एक मित्र का उसने क्रोध में अकर कटार भांक दी कैलिस- थिनोज का जा उसके और अरस्तू के बीच का सध्यस्थ था फांसी दिला दो । अथवा एक सत्य घटना जानने वालें के कंथनानसार उसने उसे पहले शिकंजे में खोंचा तद्नन्तर सूलो दिला दो । अपनी रक्षा के हेतुह्ी ऐसा हुआ होगा कि षड्चक्रियें ने उसके बध का संकल्प कर लिया हो । परन्तु इस काये के संबध में अरस्तू का भी नाम लेना निःसन्देह बड़ी बदनामी की घटना है । वह ऐसा सनुष्य था कि सिकन्द्र का किया हुआ बुरें से बुरा अपकार सह लेता पर ऐसे बड़े याप कम सें कदापि सम्मिलित न होता । (सिकन्द्र के सरने के अनन्तर) बहुत वर्षा तक वड़ी गड़बड़ी और खून खराबी रही । मकदूनिया के उ.नरले। के राज्य बांट लेने पर भो वह गड़बड़ न सिटी । इन परिवतेंनों सें से एक घटना की श्रार हमारा विशेष ध्यान आकर्षित होता है । वह यह है कि टालेमी जो सुन्द्री आारसिना नामक रक्षिता स्त्री के गे से पैदा हुआ फिलिफ राजा का पुत्र था और जो लड़कपन ही में सिकन्द्र के साथ साथ जिलावतन किया गया था । जब उनपर उनके पिता ने क्रोध किया था और जो बहुत सी लड़ाइयों और चढाइयें सें सिकन्दर का साथो रहा था सिश्रदेश का गवनर होगया और अन्त में वहां का राजा बनगया । रोड़ के घेरे में टालेसी ने उस नगर के निवासियों की ऐसी उत्तम सैवा को थी कि उसकी कृतज्ञता सें उन्हेांने उसके देवी भादर से




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